अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर आयोजित होगा महिला संसद

-बाढ़, कटाव, विस्थापन, जलजमाव की पीड़ा भोगने को अभिशप्त आधी-आबादी की उठेगी आवाज

जागरण संवाददाता, सुपौल : अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर 8 मार्च को जिला मुख्यालय स्थित पब्लिक लाइब्रेरी सभागार में महिला संसद का आयोजन किया जाएगा, जिसमें कोसी की बाढ़, कटाव, विस्थापन, जलजमाव की पीड़ा भोगने को अभिशप्त आधी-आबादी की आवाज उठेगी।
उक्त बातें आयोजन समिति की तरफ से जारी प्रेस विज्ञप्ति में अर्चना सिंह, मनोरमा कुमारी, इशरत परवीन, पूनम देवी, ललिता वास्की, प्रियंका कुमारी, अनीता देवी, पारो देवी व कुमुद रानी ने संयुक्त रूप से कही। कहा कि 8 मार्च का दिन दुनिया की आधी-आबादी के लिए आजादी, आत्म-सम्मान व अधिकार के लिए गरिमा पूर्ण दिवस है। कुर्बानी और संघर्ष के बाद महिलाओं की स्थिति में सुधार आया है। इन सबके बावजूद आज भी महिलाओं की स्थिति किसी से छुपी नहीं है। कभी-कभी तो इस प्रगति के पहिए को रोकने के लिए पूरा सामाजिक तंत्र खड़ा दिखता है। यह सभी का साझा दर्द व साझी लड़ाई है. इसके अतिरिक्त अपने क्षेत्र की बात करें तो कोसी के तटबंध बनने के बाद से आज तक बीच के लोग बाढ़, कटाव विस्थापन और बाहर जल जमाव के कारण भीषण तकलीफों का सामना करते रहते हैं। उनमें सबसे अधिक पीड़ादायक स्थिति महिलाओं की होती है। इस महिला संसद में इनकी आवाज भी उठेगी। ----------------------------------------------बाढ़, कटाव, विस्थापन, जलजमाव की पीड़ा भोगने को अभिशप्त आधी-आबादी की उठेगी आवाज

जागरण संवाददाता, सुपौल : अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर 8 मार्च को जिला मुख्यालय स्थित पब्लिक लाइब्रेरी सभागार में महिला संसद का आयोजन किया जाएगा, जिसमें कोसी की बाढ़, कटाव, विस्थापन, जलजमाव की पीड़ा भोगने को अभिशप्त आधी-आबादी की आवाज उठेगी।
उक्त बातें आयोजन समिति की तरफ से जारी प्रेस विज्ञप्ति में अर्चना सिंह, मनोरमा कुमारी, इशरत परवीन, पूनम देवी, ललिता वास्की, प्रियंका कुमारी, अनीता देवी, पारो देवी व कुमुद रानी ने संयुक्त रूप से कही। कहा कि 8 मार्च का दिन दुनिया की आधी-आबादी के लिए आजादी, आत्म-सम्मान व अधिकार के लिए गरिमा पूर्ण दिवस है। कुर्बानी और संघर्ष के बाद महिलाओं की स्थिति में सुधार आया है। इन सबके बावजूद आज भी महिलाओं की स्थिति किसी से छुपी नहीं है। कभी-कभी तो इस प्रगति के पहिए को रोकने के लिए पूरा सामाजिक तंत्र खड़ा दिखता है। यह सभी का साझा दर्द व साझी लड़ाई है. इसके अतिरिक्त अपने क्षेत्र की बात करें तो कोसी के तटबंध बनने के बाद से आज तक बीच के लोग बाढ़, कटाव विस्थापन और बाहर जल जमाव के कारण भीषण तकलीफों का सामना करते रहते हैं। उनमें सबसे अधिक पीड़ादायक स्थिति महिलाओं की होती है। इस महिला संसद में उत्सवी माहौल होगा।
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