किसान करेंगे जल संरक्षण, अपनाएंगे टपक विधि

सुपौल। कृषि कार्यों में सिचाई के दौरान जल की बर्बादी को रोकने की दिशा में अब जिले के किसान भी आगे बढ़ रहे हैं। ऐसे किसान सिचाई की नई प्रणाली टपक विधि का उपयोग करने लगे हैं। भले ही इसकी संख्या अभी कम हो परंतु अब यहां के किसान भी जल की महत्ता को समझ कर खेतों में हरियाली फैला रहे हैं। कृषि कार्यों में जल की बर्बादी को रोकने के लिए सरकार ने प्रधानमंत्री कृषि सिचाई योजना की शुरुआत की है। इस योजना के तहत टपक और फव्वारा विधि से सिचाई की जाती है। जिस यंत्र के खरीद पर सरकार 90 फीसद तक अनुदान भी दे रही है। योजना के तहत जिले में अब तक 54 किसानों ने दिलचस्पी दिखाई है। जिसमें से 34 किसानों ने सिचाई की इस नई तकनीक को अपनाकर न सिर्फ पानी की बचत कर रहे हैं, बल्कि सिचाई लागत को भी कम कर रहे हैं। दरअसल कृषि कार्यों में सिचाई को ले पानी की बर्बादी को रोकने के लिए सरकार ने सिचाई की सूक्ष्म प्रणाली लागू की है। विभाग का मानना है कि किसी भी फसल की सिचाई पर हम जितना पानी की मात्रा देते हैं उतनी जरूरत नहीं होती है। खेत से बोरिग या नहरों की दूरी अधिक रहने के कारण किसानों का समय और सिचाई में पैसा दोनों बर्बाद होता है। परंतु सिचाई की यह नई व्यवस्था न सिर्फ परंपरागत तरीके से सिचाई की तुलना में बल्कि सूक्ष्म सिचाई प्रणाली बदलते मौसम के अनुकूल होने के साथ-साथ पानी की भी बचत करती है। जहां पारंपरिक सिचाई विधि कुछ खास प्रकार की मिट्टी पर ही कारगर साबित होती है। वहीं टपक और फव्वारा विधि सभी प्रकार की मिट्टी के लिए समान रूप से उपयोगी है।


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फव्वारा के रूप में फसल पर पानी का होता छिड़काव
सिचाई की सूक्ष्म विधि के द्वारा खेत तक पाइप से पानी पहुंचाने के बाद फव्वारा के रूप में फसल पर पानी का छिड़काव होता है। जिससे बारिश की बूंदों की तरह फव्वारा से निकला पानी पौधों के हर अंग को भिगो देता है तथा खेतों में उतना ही फव्वारा का छिड़काव होता है जितनी फसल को जरूरत होती है। इससे पानी की बचत के साथ-साथ पैसे की भी बचत होती है।
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10 फीसद राशि ही करना होता है जमा
सिचाई की इस पद्धति को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार के प्रधानमंत्री कृषि सिचाई योजना के तहत 90 फ़ीसदी अनुदान दिए जाने का प्रावधान है। इसके लिए निबंधित किसानों को ऑनलाइन आवेदन करना होता है। जिसके बाद किसान को अनुदान पर यंत्र प्राप्त होता है, जिसमें यंत्र ो कुल खर्च का महज 10 फीसद राशि ही किसानों को देनी पड़ती है।
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56 किसानों को यंत्र लगाने की स्वीकृति
चालू वित्तीय वर्ष में इस योजना के तहत जिले को 83.6 एकड़ खेतों को इस इस योजना से आच्छादित किया जाना था। लक्ष्य के विरुद्ध विभाग ने अभी तक 56 किसानों को यंत्र लगाने की स्वीकृति प्रदान कर दी है। जिसमें से 34 किसानों के खेतों में सिचाई के इस यंत्र को स्थापित कर दिया गया है। जिन 34 किसानों के खेतों में यह यंत्र लगाया गया है इससे 80.4 एकड़ खेतों की सिचाई इस विधि से की जा रही है। इस यंत्र को लगाने में सबसे अधिक दिलचस्पी बसंतपुर के किसानों ने दिखाया है। इस प्रखंड के 12 किसान 44.71 एकड़ खेतों की सिचाई इस विधि से कर रहे हैं। सबसे खराब स्थिति मरौना प्रखंड की है यहां अभी तक इस यंत्र को स्थापित तक नहीं किया जा सका है। हालांकि विभाग द्वारा 3 किसानों को यंत्र स्थापित करने के लिए स्वीकृति दे दी गई है।
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प्रधानमंत्री कृषि सिचाई योजना के तहत सिचाई यंत्र लगाने वाले किसानों को 90 फीसद अनुदान दिया जाता है। प्रति किसान को ड्रीप सिचाई पद्धति के लिए अधिकतम 5 हेक्टेयर तक के लिए तथा न्यूनतम 0.5 एकड़ पर सहायता अनुदान देय है।
-आकाश कुमार
जिला उद्यान पदाधिकारी
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