पंचायत चुनाव के दावेदारों के ऑन होने से अब गांवों की जनता भी इलेक्शन मोड में

संसू सिकटी (अररिया): विधानसभा चुनाव 2020 संपन्न होने के बाद अब 2021 में पंचायत चुनाव की आहट जोर पकड़ने लगी है। यद्यपि पंचायत चुनाव को लेकर अप्रैल-मई महीने की संभावित तिथि बताई रही है। बिहार में पंचायत चुनाव दस चरणों में होंगे ऐसी घोषणा की जा रही है। संभावित घोषणा होते ही सीमावर्ती क्षेत्र के पंचायतों की राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गई है। जिन्हें चुनाव लड़ना है वे सक्रिय हो गए हैं। गांव-घर में वे दस्तक देने लगे हैं।सामूहिक भोज,खेल का आयोजन सहित कई अन्य कार्यक्रमों में पंचायत चुनाव लड़ने वाले चेहरों की मौजूदगी देखी जा सकती है। नए चेहरे जहां अपने को समाज सुधारक व दमदार बता रहे हैं वहीं पुराने चेहरे भी अपने को कमतर नहीं आंक रहे।सरकार द्वारा अप्रैल से मई माह के बीच पंचायत चुनाव कराने की घोषणा के बाद अब हर पंचायत में विभिन्न पदों के प्रत्याशियों ने भ्रमण शुरू कर दिए है।उन्हें अब अपने वोटरों की याद सताने लगी है।कुछ पुराने चेहरे शुरू से हीं जनता के बीच रहकर दु:ख तकलीफ को समझा और उससे निजात दिलाया। वहीं कुर्सी से चिपकने वाले चेहरे चुनाव नजदीक आने के कारण घर से बाहर निकल रहे है, उन्हें अपनी कुर्सी खिसकती नजर आ रही है। फिर भी अपने को पुराना चावल समझ लोगों का हालचाल पूछ रहे हैं।जिन उम्मीदवारों ने पंचायत का विकास किया वे बेफिक्र नजर आ रहे हैं और अपनी जीत के प्रति आश्वस्त हैं। लेकिन जनता और विकास से दूरी बनाए रखने वाले कुछ पुराने चेहरों को अपनी कुर्सी स्पष्ट नहीं दिख रही। जहां वर्तमान जनप्रतिनिधि अपने अपने पांच वर्ष के कामकाज का खाका तैयार करने में लगे हैं ,वही संभावित प्रत्याशी वर्तमान जनप्रतिनिधि के खिलाफ मुद्दे तलाशने में लगे हैं।मुखिया, सरपंच एवं पंचायत समिति सदस्य पदों के कई दावेदारों ने तो शादी-विवाह और भोज-भंडारे में अपना दखल देना शुरू कर दिया है। उक्त अवसरों पर बिन बुलाए मेहमान बनकर ऐसे दावेदार शिरकत करने लगे हैं। कोई दावेदार पत्ता उठाने लगता है तो कोई जूठन उठाने से भी परहेज नहीं कर रहे। कुछ दावेदारों ने तो पंचायत के गांवों में जनसंपर्क भी शुरू कर दिया है। दावेदारों के ऑन होने से अब गांवों की जनता भी इलेक्शन मोड में आ चुकी है।जीते-हारे लोगों के साथ-साथ कई बार अपनी किस्मत आजमा चुके उम्मीदवार भी चुनावी रण में उतरने के लिए बेचैन दिखाई दे रहे हैं । वहीं कई नए चेहरे भी अपनी उम्मीदवारी को लेकर सामने आए हैं। यही वजह है कि गांव में किसी न किसी बहाने से संभावित उम्मीदवारों ने दस्तक देना शुरू कर दिया है। देखा जाए तो वर्तमान में एक मुखिया का मासिक भत्ता मात्र पच्चीस सौ रुपये है फिर भी पांच साल में मुखिया की बडी हैसियत को देखते हुए कई लोग त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में अपना भाग्य आजमाने को आतुर हैं।

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