विस में गूंजा सवाल तब कनीय-वरीय का विवाद विभाग को आया याद

24 घन्टे के अंदर स्थापना डीपीओ ने बीईओ से मांगी रिपोर्ट

प्रारम्भिक विद्यालयों में विभागीय जुगाड़ तकनीक के सहारे कनीय बने हैं प्रभारी
70 फीसदी से अधिक विद्यालयों में कनीय बने है प्रभारी
छपरा/मशरक। हिप्र/एस
लम्बे समय से प्रारंभिक विद्यालयों में विभागीय जुगाड़ तकनीक के सहारे प्रभारी बने कनीय शिक्षकों के लिए बुरी खबर है । विधानसभा में लगातार सवाल उठने के बाद जुगाड़ तकनीक पर पानी फिरते दिख रहा है । जिले के शिक्षा विभाग कार्यालय में भी जुगाड़ तकनीक से कनीय शिक्षकों को मदद करने वाले किनारा पकड़ने लगे है। स्थापना डीपीओ ने सभी बीईओ को 24 घंटे की मोहलत देते हुए कनीय शिक्षक के प्रभार वाले विद्यालयों की सूची मांगी है। इसको लेकर महकमे में हड़कंप मचा है क्योंकि डीपीओ ने अपने पत्र में विधानसभा में उठाए गए सवालों का भी जिक्त्र किया है। प्रभार में रहने वाले कनीय शिक्षकों को विभागीय अधिकारियों एवं राजनीतिक आकाओं का आशीर्वाद प्राप्त होने की चर्चा भी हमेशा खूब होती है। हालांकि इस बावत विभाग द्वारा जारी दिशा निर्देश के आलोक में जिला मुख्यालय द्वारा हमेशा पत्र निकालने के बाद भी स्थिति जस की तस बनी रहती है । इसे लेकर वर्तमान विधानसभा सत्र में प्रधानाचार्य की नियुक्ति नही होने एवं वरीय शिक्षकों के होते हुए कनीय शिक्षकों के प्रभारी के रूप में कार्य करने का मुद्दा उठाए जाने के बाद प्राथमिक शिक्षा निदेशक बिहार ने कड़ा निर्देश जारी करते हुए अविलंब इस संदर्भ में कार्रवाई का निर्देश जिलों को दिया है । इसे लेकर जिला शिक्षा कार्यालय के पत्रांक 1086 दिनांक 15 मार्च के द्वारा डीपीओ स्थापना ने सभी प्रखण्ड शिक्षा पदाधिकारी को दो दिन की मोहलत दी है । कहा गया है कि किसी भी परिस्थिति में प्राथमिक एवं मध्य विद्यालयों में वरीय शिक्षकों के रहते कनीय शिक्षक विद्यालय के प्रभारी नहीं रहेंगे। जिस बीईओ के क्षेत्र में ऐसा पाया गया वहां यह माना जायेगा कि आपके द्वारा उच्चाधिकारियों के आदेश की अवहेलना की जा रही है जिसे लेकर आपके विरुद्ध अनुशासनिक कार्रवाई के लिए निदेशक प्राथमिक शिक्षा बिहार को लिखा जाएगा। पत्र में स्पष्ट निर्देश है कि जिन विद्यालयों में कनीय शिक्षक प्रभार में है वे 22 मार्च को विद्यालय का एमडीएम पंजी, छात्रवृति पंजी, पोशाक योजना पंजी, विद्यालय विकास योजना सहित अन्य पंजी के साथ अधोहस्ताक्षरी कार्यालय में उपस्थित होंगे जिसकी जवाबदेही प्रखण्ड शिक्षा पदाधिकारी की होगी।इधर पत्र मिलते ही कनीय शिक्षक फिर से जुगाड़ तकनीक में जुट गए है जिसके तहत विद्यालय के वरीय शिक्षकों से अस्वस्थ होने या फिर प्रभार लेने में सक्षम नही होने का प्रमाण पत्र लेकर प्रभारी के पद पर बने रहने की जुगत लगाने लगे है । हो भी क्यो नही विद्यालय के प्रभारी होने का मतलब इनके लिए पठन पाठन एवं विद्यालय में शैक्षणिक व्यवस्था कम जबकि एमडीएम से लेकर अन्य योजनाओं में मलाईदार फायदे की लालच अधिक जो है।
डीपीओ के पत्र से हरकत में आये बीईओ
डीपीओ स्थापना का अल्टीमेटम पत्र मिलते ही प्रखण्ड शिक्षा पदाधिकारी हरकत में आ गए हैं। वे इस बार कार्रवाई के भय से कोई जोखिम नहीं उठाना चाहते । बीईओ मशरक ने कार्यालय पत्रांक 109 / 16 मार्च के तहत निर्देश निकाल सभी सीआरसीसी समन्वयक की जवाबदेही इस बावत तय करते हुए 24 घण्टे के अंदर वैसे विद्यालयों की सूची मांगी है जहां वरीय शिक्षकों के रहते कनीय शिक्षक प्रभार में है । पत्र में विभागीय एवं वरीय पदाधिकारियों का हवाला देते हुए स्पष्ट कहा गया है कि किसी भी परिस्थिति में वरीय शिक्षक के होते कनीय शिक्षक प्रभार में नही होंगे। हालांकि बीईओ के पत्र के बाद यह भी चर्चा है कि जब विद्यालयों की पदस्थापना विवरणी प्रखण्ड से लेकर जिला स्थापना कार्यालय तक है तब फिर वरीय शिक्षकों को प्रभारी बनाए जाने को लेकर ये पत्रों के लुकाछिपी का खेल सिर्फ दिखावे के लिए तो नहीं।
70 फीसदी से अधिक विद्यालय में कनीय बने हैं प्रभारी
मशरक , बनियापुर, मांझी,एकमा समेत अन्य बीआरसी सूत्रों की माने तो 70 फीसदी से अधिक विद्यालयों में वरीय नियोजित शिक्षक होने के बावजूद भी कनीय शिक्षक प्रभारी की कुर्सी पर काबिज है । कई विद्यालयों में तो नियमित शिक्षक रहते हुए नियोजित शिक्षक को प्रभारी कार्यालय ने बना रखा है । यही हालत पूरे जिला के अन्य प्रखंडो में भी है । इसे लेकर सिर्फ विभागीय खानापूर्ति हमेशा होती रही है । न्यायालय के आदेश के बावजूद भी वरीय शारीरिक शिक्षा शिक्षक भी विद्यालय में प्रभार से वंचित है । जबकि प्राथमिक शिक्षा निदेशक द्वारा जारी पत्र में शारीरिक शिक्षा शिक्षकों को वरीय शिक्षक नही मानने का कोई निर्देश नही है।

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