पाठकों का बाट जोहता जंक्शन स्थित हिन्दी ग्रंथालय

युवा की लीड

उपेक्षा
ज्ञानोपयोगी व मानसिक तनाव से दूर रखने में सहायक यह हिन्दी लाइब्रेरी अब महत्वहीन सा हो गया है
काफी दिनों से नहीं खुलने के कारण हो गया है महत्वहीन
रेलवे के कर्मियों के लिए खोला गया है परिसर में ग्रंथालय
02 वर्षों में कभी भी इसे खुलते नहीं देखा गया है
फोटो-04
कैप्शन- बुधवार को प्लेटफार्म नंबर एक पर स्थित ग्रंथालय के गेट पर लगा ताला।
सीवान। निज प्रतिनिधि
स्थानीय जंक्शन पर मिलने वाली तमाम सारी सुविधाओं के बीच एक ऐसी भी सुविधा है जो बीते काफी दिनों से आगंतुकों की बाट जोह रही है। जी हां, बात हो रही है प्लेटफार्म नंबर एक स्थित डॉ. राजेंद्र प्रसाद हिन्दी ग्रंथालय की। जो न तो तय समय पर खुलता है और न ही इसमें रखी किताबों को पढ़ने में अब पाठकों की रुचि ही है। रेलकर्मियों के लिए खोली गयी इस लाईब्रेरी गेट के ठीक सामने लगे शिलापट्टा पर खुलने का समय शाम 17.30 से लेकर 18.30 बजे तक लिखा गया है। रेलवे इसे ससमय खोलने का दावा भी करता है। लेकिन, विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बीते दो वर्षों में कभी भी इसे खुलते नहीं देखा गया है। न ही किसी ने इसमें रखी ज्ञानपरक किताबों को पढ़ने में अपनी रुचि ही जाहिर की है। ज्ञानोपयोगी व मानसिक तनाव से दूर रखने में सहायक यह हिन्दी लाइब्रेरी अब महत्वहीन सा हो गया है। गुमनामी के अंधेर से अपनी अंतिम सांसे गिन रहे इस डॉ. राजेंद्र प्रसाद हिन्दी ग्रंथालय की कोई सुध लेने वाला नहीं है।
क्या कहते हैं पीआरओ
वाराणसी मंडल के पीआरओ अशोक कुमार ने बताया कि ग्रंथालय रेलकर्मियों के लिए खोला गया है। जानकारी के अनुसार जंक्शन स्थित डॉ. राजेन्द्र प्रसाद हिन्दी ग्रंथालय समय से खुलता है और इच्छुक कर्मी इसमें रखी पुस्तकों का अध्ययन कर लाभ भी उठाते हैं।

अन्य समाचार