श्रीराम कथा रस को ग्रहण करने से जीवन हो जाता है सार्थक

रघुनाथपुर। एक संवाददाता

प्रखंड मुख्यालय स्थित शहीद मैदान में आयोजित श्रीराम महायज्ञ और संत सैनिक समागम में श्रीराम कथा सुनने के लिए श्रद्धालुओं की भरी भीड़ उमड़ रही है। रविवार से शुरू श्रीराम कथा के पहले दिन सुनील शास्त्री ने यज्ञ के आध्यात्मिक और रसायनिक महत्व पर प्रकाश डाला। कहा कि प्रदूषण पर नियंत्रण और इसका स्थायी निदान यज्ञ से ही संभव है। श्रीराम कथा को अमृत रस की संज्ञा दी। कहा कि इससे एकाग्रचित हो ग्रहण करने से जीवन सार्थक हो जाता है। ऐसे धार्मिक अनुष्ठान में सेवा करने से यज्ञ का पुण्य भी प्राप्त होता है। जन-जन में धार्मिक चेतना को जागृत करने की जरूरत है। धार्मिक अनुष्ठान को बरकरार रखने और वैदिक रीति व विधियों को फिर से प्रज्ज्वलित करने की जरूरत है। श्रीराम कथा सुनने वालों के मन से विकार नष्ट हो जाते हैं। मन और चित भी प्रसन्न रहता है। सभी को 24 घंटे में कम से कम एकबार भगवान श्रीराम का नाम लेना चाहिए।
गुरुकुल व ऋषि परंपरा से जुड़ा है मनुष्य
सिसवन। हमारी सभ्यता व संस्कृति काफी पुरानी है। भारतीय परंपरा भी काफी पुरानी है। इसमें सबसे बड़ी बात रही है कि चाहे राजा का पुत्र हो, किसान पुत्र हो या स्वयं भगवान उन्हें अपने गुरु के आश्रम में जाकर सर्व साधारण की तरह शिक्षा ग्रहण करना पड़ता है। हमारी दो मुख्य परंपरा है। यह बातें चैनपुर मुबारकपुर में भागवत कथा के दौरान कथा वाचिका किरण शास्त्री ने कही। उन्होंने कहा कि मुख्य रूप से एक है ऋषि परंपरा। जिससे हमारी गोत्र की परंपरा चलती है। दूसरी है गुरुकुल परंपरा जिससे मंत्र व शिक्षा की परंपरा चलती है। इन दोनों परंपरा से जुड़कर ही हमारा जीवन है।

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