दुष्कर्म मामले में गलत ढंग से फंसाने पर महिला पर ही प्राथमिकी दर्ज करने का कोर्ट ने दिया एसपी को निर्देश

संसू, अररिया: किसी भी बेगुनाह व्यक्ति के विरुद्ध साजिशपूर्ण ढंग से किसी भी घटना में फंसाना जहां घोर अपराध है। वही यदि गोद में पलने बढ़ने वाली मात्र नौ महीने की अबोध बच्ची के साथ मनगढ़ंत ढंग से दुष्कर्म जैसी संवेदनशील घटना में लाकर किसी निर्दोष व्यक्ति को फंसाया जाना मानवीय संवेदना को झकझोर देने जैसा है। ऐसे ही एक मामले में अररिया के पोक्सो एक्ट के स्पेशल जज शशिकांत राय की अदालत ने सख्त रूख अपनाया है और मामले की सूचिका द्वारा कोर्ट को गुमराह करने के साथ-साथ कानून के साथ धोखाधड़ी कर आरोपित को न्यायिक अभिरक्षा में जेल में रखने कोर्ट में गलत साक्ष्य एवं आरोपित को न्यायिक अभिरक्षा में रखने की दुस्साहसपूर्ण मानसिकता को दर्शाता है। इसके साथ ही कोर्ट ने बौंसी थाना क्षेत्र के गरहा निवासी सूचिका के खिलाफ चौबीस घंटे के अंदर प्राथमिकी दर्ज करने के लिए अररिया के पुलिस अधीक्षक को निर्देश दिया है।

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पोक्सो एक्ट के स्पेशल कोर्ट के जज शशिकांत राय की अदालत ने गुरुवार को एक ऐसा ही आदेश दिया है। उक्त कोर्ट ने एक नौ महीने की नाबालिग बच्ची के दुष्कर्म के मामले में जेल में बंद आरोपित को बाइज्जत बरी करते इस मामले के सूचक के खिलाफ 24 घंटे के अंदर प्राथमिकी दर्ज करने के लिए अररिया के पुलिस अधीक्षक को निर्देश जारी किया है। पोक्सो एक्ट के स्पेशल जज शशिकांत राय की अदालत में पोक्सो एक्ट स्पेशल केस नंबर-61/19 लंबित था। इस मामले में अररिया महिला थाना में कांड संख्या-143/19 दर्ज किया गया।बौसी थाना क्षेत्र के गरहा निवासी महिला प्राथमिकी दर्ज कराई थी। आरोप लगाया कि सात अक्टूबर,19 को गुणवंती में सूचिका की नौ महीने की बच्ची के साथ सुधीर राय नामक एक व्यक्ति ने दुष्कर्म किया। इस मामले में उक्त आरोपित गिरफ्तार हो गया तथा वह जेल में बंद है।
इस मामले में स्पेशल कोर्ट ने सुनवाई पूरी की तथा सुनवाई के दौरान उक्त स्पेशल कोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में काफी वक्त से जेल में बंद आरोपित सुधीर राय को बाइज्जत बरी कर दिया।
इसके साथ ही स्पेशल कोर्ट के न्यायाधीश श्री राय की अदालत ने इस मामले में काफी गंभीर रूख अपनाया। कोर्ट ने इस संबंध में आदेश पारित करते हुए अररिया के पुलिस अधीक्षक को एक पत्र जारी किया है। कोर्ट ने कहा कि पोक्सो एक्ट जैसे संवेदनशील मामले में सूचिका द्वारा आरोपित बनाये गये सुधीर राय इस वक्त जेल में बंद है। रिकार्ड के अवलोकन से यह स्पष्ट है कि उक्त व्यक्ति को गलत ढंग से फंसाया गया है। सूचिका द्वारा कोर्ट में प्रस्तुत साक्ष्य से स्पष्ट है कि उसने कोर्ट में गलत साक्ष्य प्रस्तुत कर कोर्ट को गुमराह करने की कोशिश की है। इस कारण कथित मामलों में आरोपित बने सुधीर को बाइज्जत बरी किया जाता है। साथ ही कोर्ट ने इस संदर्भ में अररिया के पुलिस अधीक्षक को निर्देश दिया कि चौबीस घंटे के अंदर मामले की सुचिका के खिलाफ संबंधित थाना में पोक्सो एक्ट की धारा-22 के आलोक में एफआईआर दर्ज किया जाए तथा एफआईआर दर्ज होने की सूचना कोर्ट को दी जाय।
कोर्ट ने कहा कि ऐसा इसलिए आवश्यक है कि पोक्सो एक्ट गंभीर एवं संवेदनशील मामले से जुड़ा है। ऐसे मामले में किसी भी बेगुनाह व्यक्ति को फंसाकर कोई अपने मंसूबा पूरा नहीं कर सकता है।
जबकि सूचिका बनी महिला ने दर्ज एफआईआर में आरोपित के खिलाफ दुष्कर्म का आरोप लगाते अपनी ही एक अबोध बच्ची के मामले में कई घृणित शब्दों का उल्लेख किया था। जबकि उसने कोर्ट में अपनी गवाही में पुत्री के साथ कोई भी घटना होने से इंकार कर दिया है।
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