विशेष नामांकन अभियान में सूबे में अररिया का प्रदर्शन रहा शानदार

- सूबे में चौथे स्थान पर रहा अररिया

- आठ मार्च से 25 मार्च तक चलाया गया था विशेष नामांकन अभियान
- ड्रॉपआउट बच्चों को मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयास
- कोरोनाकाल में बच्चों के नुकसान की होगी भरपाई
जागरण संवाददाता, अररिया : विशेष नामांकन अभियान में सूबे में अररिया का प्रदर्शन शानदार रहा है। बिहार के सभी सरकारी विद्यालयों में आठ मार्च से 25 मार्च तक प्रारंभिक विद्यालयों में विशेष नामांकन अभियान चलाया गया था। जिसमें अररिया सूबे में शानदार प्रदर्शन करते हुए चौथा स्थान प्राप्त किया है। इस दौरान कक्षा एक से लेकर आठ तक एक लाख 16 हजार दो सौ चार बच्चों का नामांकन हुआ है। इसप्रकार अररिया राज्य में कुल 90.90 फीसदी नामांकन के साथ चौथा स्थान प्राप्त किया।
गेहूं की हुई बंपर पैदावार, उचित मूल्य को के लिए सशंकित हैं किसान यह भी पढ़ें
कक्षावार नामांकित बच्चे :
विशेष नामांकन अभियान के तहत कक्षा दो, तीन, चार, पांच, सात व आठ में 33 हजार 561 बच्चों का नामांकन हुआ है। वहीं कक्षा एक में 58 हजार 553 और कक्षा छह में 16 हजार 970 बच्चों का नामांकन किया। इसी प्रकार कक्षा नौ में सात हजार 120 स्कूल से बाहर के बच्चों को विद्यालया से जोड़ा गया।
208 दिव्यांग बच्चे थे विद्यालय से दूर:
विशेष नामांकन अभियान के दौरान यह बात सामने आई कि 208 बच्चे ऐसे थे जो विद्यालय से दूर थे। उन बच्चों को विद्यालय से जोड़ा गया है। विभाग द्वारा सीआरसीसी, बीआरपी, शिक्षकों, आंगबाड़ी केंद्रों के सेविका व विभागीय अधिकारियों की मदद से विशेष अभियान चलाया गया था। गांवों टोले में अभिभावकों से संपर्क कर कोरोनाकाल में बंद रहने के कारण विद्यालय से दूर रहने वाले बच्चों को चिन्हित किया गया था। इसके बाद नजदीकी विद्यालयों में नामांकन कराया गया। इनमें ऐसे बच्चे भी शामिल हैं जिनके अभिभावक रोजी रोटी के तलाश में यहां से पलायन कर गये थे और लॉकडाउन लागू होने के बाद अपने गांव लौट आए थे, जो गांव में ही रहने लगे हैं।
- ड्रॉपआउट होने कारणों की हो रही है तलाश :
शिक्षा विभाग व पिरामल फाउंडेशन के सदस्यों द्वारा पढ़ाई छोड़ने, विद्यालय से दूर रहने वालों बच्चों के कारणों की तलाश की जा रही है। विभाग द्वारा सर्वे कराया जा रहा है। जिसमें अभिभावकों से संपर्क कर कारण की तलाश की जा रही है। जानकार बताते हैं कि जिले में सबसे अधिक कक्षा पांच, कक्षा आठ, कक्षा दस, इंटर व स्नातक के बीच ड्रॉपआउट बच्चों की संख्या अधिक होती है। इसमें खासकर बच्चियां बीच में ही पढ़ाई छोड़ देती है।
बाल विवाह, असुरक्षा बना रोड़ा:
विभागीय सर्वे के दौरान लोगों ने अपनी अलग अलग राय दी। कुछ का कहना है कि बाल विवाह एक सामाजिक कुरीति है। जिसके चलते आर्थिक रूप से कमजोर अभिभावक अपने बच्चों को कम उम्र में शादी करा देते हैं। ज्यों ज्यों बेटी बड़ी होती है उसे सुरक्षा की चिता भी होती है। जैसे ही लायक रिश्ता मिलता है विवाह करा देते हैं। इस कारण भी लड़कियों की पढ़ाई आधे आधूरी रह जाती है। कुछ का कहना है कि पालयन के कारण पढ़ाई छुट जाती है। कुछ का कहना था कि गरीब मां बाप रोजी रोटी की तलाश में दूसरे शहर पलायन कर जाते हैं। इससे भी बच्चों की पढ़ाई पर बुरा असर पड़ता है। इसके अलावे बच्चों के विद्यालय छोड़ने या ड्रॉपआउट होने के कई करण समाने आ रहे हैं। हांलांकि सर्वे का काम में जारी है।
कैचअप कोर्स से नुकसान की होगी भरपाई :
डीईओ राज कुमार ने बताया कि कोरोनाकाल में स्कूल बंद रहने के कारण बच्चों की पढ़ाई नुकसान हुई है। इस नुकसान की भरपाई के लिए पांच अप्रैल से कक्षा दो से दस तक के बच्चों के लिए कैचअप कोर्स क्लासेस संचालित की जाएगी, जिसमें विभाग द्वारा प्राप्त समाग्री से प्रशिक्षित शिक्षकों द्वारा क्लास का संचालन होगा। 60 दिनों के कार्स के दौरान बच्चों की कमियों को दूर कराई जाएगी। ताकि आगे की कक्षा में उन्हें परेशानी नहीं हो।
- शिक्षकों को दिया गया प्रशिक्षण :
कैचअप कोर्स के लिए मास्टर ट्रेनरों द्वारा जिले के सभी स्कूलों के शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया गया। 23 से 26 मार्च तक सभी संकुल स्तर पर शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया गया था। जिसमें शिक्षकों को कम समय में बच्चों को दक्ष बनाने की जानकारी दी गई। इस दौरान जिले के दस हजार से अधिक शिक्षकों को प्रशिक्षण मिला है। पहले जिला स्तर पर सभी संकुल के चिन्हित स्कूलों के शिक्षकों को उच्च विद्यालय अररिया में प्रशिक्षण दिया गया था। इसके बाद प्रशिक्षित शिक्षकों द्वारा संकुल स्तर पर शेष शिक्षकों को ट्रेंड किया गया।
कोट - विशेष नामांकन अभियान में जिले का स्थान चौथा रहा है। इस बेहतर प्रदर्शन के लिए सभी बधाई के पात्र हैं। सभी के सहयोग से यह उपलब्धि हासिल हुई है। पूरी उम्मीद है कि अधिकारियों व शिक्षकों के सहयोग से कैचअप कोर्स के सफल संचालन से बच्चों की कमियों को दूर कराई जाएगी। जिले में शिक्षा व्यवस्था को चुस्त दुरुस्त करने के लिए हर संभव प्रयास जारी है।
राजकुमार, डीईओ अररिया।
शॉर्ट मे जानें सभी बड़ी खबरें और पायें ई-पेपर,ऑडियो न्यूज़,और अन्य सर्विस, डाउनलोड जागरण ऐप

अन्य समाचार