वर्षा का जल संचयन में शिक्षा विभाग सबसे आगे

लखीसराय। भूजल का दोहन किए जाने के कारण जिले में भूजल स्तर लगातार नीचे खिसकता जा रहा है। इस कारण जिले में गंभीर जल संकट उत्पन्न हो गया है। भूजल स्तर को ऊंचा उठाने को लेकर जल-जीवन-हरियाली योजना के तहत भवनों के छत के वर्षा का जल संचयन करने का निर्णय लिया गया है। इसमें शिक्षा विभाग सबसे आगे है। जल-जीवन-हरियाली योजना के तहत जिले के तमाम सरकारी भवनों के छत पर वर्षा का जल संग्रह करने की योजना तैयार की गई है। वर्षा का जल संचयन करने को लेकर प्रथम चरण में कम-से-कम तीन हजार स्क्वायर फीट क्षेत्रफल छत वाले जिले के 355 सरकारी भवनों के समीप रेन वाटर हार्वेस्टिग का निर्माण करने का निर्णय लिया गया है। इसमें से 243 भवन सिर्फ शिक्षा विभाग का है। शेष 112 भवन अन्य विभागों का है। इसमें से शिक्षा विभाग के चिह्नित अधिकांश भवनों पर रेन वाटर हार्वेस्टिग का निर्माण कराया भी जा चुका है।


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रेन वाटर हार्वेस्टिग के जरिए वर्षा का जल पहुंच रहा जमीन के भीतर
छत पर वर्षा का जल संचयन करने को लेकर चयनित भवन के नजदीक साठ फीट का बोरिग कराया जा रहा है। बोरिग के पाइप को छत तक ले जाकर छत पर जमा होने वाले वर्षा के जल को पाइप के माध्यम से जमीन के नीचे पहुंचाया जा रहा है। इससे भूजल स्तर ऊपर आएगा। इसके पीछे का उद्देश्य वर्षा जल को बर्बाद नहीं करके उसका संग्रह करना है।
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वर्षा का जल संचयन करने को लेकर प्रथम चरण में तीन हजार स्क्वायर फीट क्षेत्रफल वाले 243 भवनों का चयन किया गया है। चयनित अधिकांश भवनों के समीप रेन वाटर हार्वेस्टिग का निर्माण कर वर्षा का जल संचयन किया जाने लगा है। आने वाले दिनों में शिक्षा विभाग के सभी भवनों के समीप रेन वाटर हार्वेस्टिग का निर्माण कराया जाएगा जो अन्य सभी विभागों एवं आम लोगों के लिए संदेश होगा।
संजय कुमार सिंह, जिला शिक्षा पदाधिकारी, लखीसराय।
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