वली रहमानी ने जामिया रहमानी को दी नई बुलंदी

मुंगेर। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव सह इमरात ए शरिया के अमीर हजरत मौलाना वली रहमानी का शनिवार को करीब 2.30 बजे पटना के निजी अस्पताल में निधन हो गया। खानकाह रहमानी के प्रवक्ता इम्तियाज रहमानी ने बताया कि एक उर्दू कॉफ्रेंस में शामिल होने के लिए वह झारखंड गए हुए थे। वहां उनकी तबीयत बिगड़ गई। इलाज के लिए पटना में भर्ती कराया गया। स्थिति गंभीर होने पर चिकित्सक ने उन्हें आइसीयू में रखा था। इस दौरान चिकित्सक की विशेष टीम हर पल उनके स्वास्थ्य पर नजर रख रही थी। फिर भी अल्लाह पाक ने अपने नेक बंदे को अपने पास बुला लिया। उनके नहीं रहने से जिला ही नहीं देश भर मे उनके चाहने वाले अपने आपको अनाथ समझने लगे हैं।

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------------ तालीम के बड़े पैरोकार थे मौलाना वली रहमानी
वली रहमानी का जन्म 5 जून 1943 को मुंगेर में हुआ था। उन्होंने उर्दू स्कूल खानकाह रहमानी में आरंभिक तालीम हासिल की। इसके बाद वे दारूल उलूम लखनऊ चले गए। वहां से आने के बाद तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा हासिल की। 1965 में साप्ताहिक उर्दू पत्रिका नाकिब के संपादक बने। नाकिब पत्रिका के संपादक के रूप में उन्होंने काफी शोहरत हासिल की। जामिया रहमानी में 1966 से 1977 तक शैक्षणिक कार्यों में अपनी सेवा दी। प्राचार्य के रूप में उन्होंने जामिया रहमानी को नई बुलंदियों तक पहुंचाया। 1991 से जामिया रहमानी के सरपरस्त और खानकाह रहमानी के गद्दीनशीं बनाए गए। 1991 से जून 2015 तक मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सचिव रहे। जून 2015 में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रभारी महासचिव रहे। अप्रैल 2016 में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रभारी सचिव बनाए गए। अपनी तकरीर में वली रहमानी हमेशा तालीम के लिए लोगों को प्रेरित करते थे। वे कहते थे कि अपने बच्चों को बेहतर तालीम दिलाएं।
------------- दो बार बिहार विधान परिषद के उप सभापति बने वली रहमानी
1974 से 1996 तक वली रहमानी बिहार विधान परिषद के सदस्य रहे। 1984 और 1990 में वे दो बार बिहार विधान परिषद के उप सभापति बने। विधान परिषद के सदस्य रहते हुए उन्होंने मुसलमानों के साथ-साथ समाज के वंचित तबकों के हक-हकूक के लिए आवाज बुलंद करते रहे।
------------- गरीब छात्रों के सपनों को लगाए पंख
मौलाना वली रहमानी ने गरीब अल्पसंख्यक छात्रों के इंजीनियर, डॉक्टर, अधिवक्ता, जज आदि बनने के सपनों को पंख दिया। वर्ष 2009 में उन्होंने पटना में रहमानी-30 की शुरुआत की। इसका सकारात्मक परिणाम सामने आया। बड़ी संख्या में छात्र सफल हुए। रहमानी-30 में बच्चों के रहने, खाने और कोचिग की निश्शुल्क व्यवस्था कराई जाती है। आइआइटी और चार्टेर एकाउंटेंट की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए वर्ष 2012 में विशेष इंतजाम शुरू किए गए। वर्ष 2013 में गरीब मुस्लिम छात्रों के मेडिकल, वकील, जज आदि की प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी के लिए निश्शुल्क कोचिग की व्यवस्था की। उनके इन प्रयासों के कारण कई गरीब छात्रों का सपना साकार हुआ।
------------ मदरसों की सुरक्षा के लिए चलाई मुहिम
वर्ष 2002 में मदरसों की हिफाजत के लिए उन्हों अभियान चलाया। मदरसा इस्लामिया मुंगेर में राष्ट्रीय कंवेंशन का आयोजन किया गया। जिसका असर पूरे देश में हुआ। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के बैनर तले उन्होंने इस्लाही समाज और संवैधानिक अधिकार के बचाव के लिए चलाई जा रही मुहिम का नेतृत्व किया। उनके नेतृत्व में गांधी मैदान में सबसे बड़ी जनसभा भी आयोजित की गई थी।
---------------- वली रहमानी को मिले आवार्ड
वली रहमानी को भारत ज्योति अवार्ड, राजीव गांधी एक्सिलेंस अवार्ड, शिक्षा रत्न अवार्ड, सर सैयद अवार्ड, इमाम राजी अवार्ड मिला। कोलंबिया विश्वविद्यालय ने उन्हें डॉक्ट्रेट की मानद उपाधि दी। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय ने भी उन्हें व्याख्यान देने के लिए आमंत्रित किया।
-------------- उनकी लिखी महत्वपूर्ण किताबें
मौलाना वली रहमानी ने देश व समाज को सही दिशा देने के लिए कई किताबें लिखी। जिसमें एक है शाह वली उल्लाह की जीवनी, बैत अहदे नबवी में, आपकी मंजिल यह है, दिनी मदारिस (मदरसों) में सनअति तालिम का मसला, समाजी इंसाफ अदलिया और अवाम, मरकजी मदरसा बोर्ड और अकलियतों की तालीम, लड़कियों का कत्लेआम, शहनशाहे कोनैन के दरबार में हजरत सज्जाद मुफक्किरे इस्लाम आदि। मजमुआ रसाइले रहमानी खुत्बाते वली, इस्लाही मआशरा की शाहराह, मुस्लिम पर्सनल लॉ और हिंदुस्तानी कानून आदि ।
----------- 15 लाख से अधिक शागिर्द बने
मौलाना वली रहमानी के हाथों करीब 15 लाख से अधिक लोगों ने अपनी गलती को सुधार कर नेक राह पर चलते हुए शागिर्द बने। इसके साथ देश व विदेश में भी इनके शागिर्द फैले हुए हैं।
--------------- 31 मई 2003 को राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम आए था खानकाह
परमाणु वैज्ञानिक भारत रत्न व तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम 31 मई 2003 को मुंगेर के खानकाह में आए। डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने नवनिर्मित चार मंजिला तालीमगाह जामिया रहमानी का फीता काटकर उद्घाटन किया। इसके बाद खानकाह के पुस्तकालय में करीब एक घंटे तक रुके। इस दौरान उन्होंने पुस्तकालय में रखी किताबों का अवलोकन किया। मौलाना वली रहमानी के साथ काफी देर तक उन्होंने बातचीत भी की।
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