मेधा को विकसित करने के लिए योग अति आवश्यक: रामादर्श

मुंगेर । मेधा को विकसित करने के लिए योग अति आवश्यक है। अध्ययन, अध्यापन, चितन-मनन में योग समाहित है। योग का अर्थ जुड़ने से है और हम जब तन-मन से जुड़ते हैं, तो हमारे अंदर शक्ति का संचार होता है। उक्त बातें वरिष्ठ माध्यमिक सरस्वती विद्या मंदिर, मुंगेर में भारती शिक्षा समिति, बिहार के तत्वावधान में आयोजित त्रिदिवसीय आचार्य कार्यशाला के तृतीय दिवस पर मुंगेर विभाग के विभाग संयोजक रामादर्श प्रसाद सिंह ने कही। उन्होंने कहा कि हमारे जीवन में अनेक छोटी-छोटी खुशियां आती रहती है। जिससे हमे तनाव से मुक्ति मिलती है। विद्या भारती के राष्ट्रीय सह मंत्री कमल किशोर सिन्हा ने कहा कि योग हमें रोग से मुक्त करता है। और जीवन जीने की पद्धति को सिखाता है। विद्यालय प्रबंधकारिणी समिति की सचिव सरोज कुमारी ने कहा कि कोरोना काल ने शिक्षण व्यवस्था में परिवर्तन लाया है। ऑनलाइन शिक्षा आज की आवश्यकता बन गई है। नई शिक्षा नीति में व्यवहारिक पक्ष को महत्व दिया गया है। आज शिक्षण सामग्री को डिजिटल फॉर्म में लाना आवश्यक है।


विद्यालय प्रबंधकारिणी समिति की सदस्या मंजू सिन्हा ने कहा कि बच्चों के प्रथम शिक्षक माता-पिता ही होते हैं। बच्चों की बात धैर्य से सुनने और उसके समाधान की आवश्यकता है। बच्चों की शिक्षा ऐसी हो जिसमें राष्ट्र निर्माण की क्षमता हो। भैया-बहन देश के अच्छे नागरिक बने यही शिक्षा का उद्देश्य है।
आचार्य जयेन्द्र कुमार गुप्ता ने कहा कि भारत की सभ्यता और संस्कृति अतुलनीय है। हमें इसे जानने और समझने की आवश्यकता है। संस्कृति सामान्य ज्ञान परीक्षा का भी यही उद्देश्य है।
केन्द्रीय आधारभूत विषयों पर चर्चा करते हुए आचार्या खुशबू झा ने कहा कि खेलकूद एवं शारीरिक शिक्षा, योग, संस्कृत, संगीत, नैतिक एवं आध्यात्मिक शिक्षा भैया-बहनों के सर्वांगीण विकास के लिए अति महत्वपूर्ण विषय है। इस अवसर पर विद्यालय के सभी शिक्षक कर्मचारी उपस्थित थे।
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