मंदिरों में दुर्गा सप्तशती का पाठ कर माता की आराधना

छपरा। नगर प्रतिनिधि

शक्तिदायिनी मां देवी दुर्गा के द्वितीय स्वरूप ब्रह्मचारिणी की आराधना के साथ बुधवार को श्रद्धालुओं ने मां के जयकारे लगाए। श्रद्धालुओं का कहना है कि मां भगवती के ब्रह्मचारिणी स्वरूप के पूजा-अर्चना, ध्यान स्त्रोत व कवच पाठ करने से भक्तों में ज्ञान शक्ति का संचार बढ़ जाता है। शरीर नियोगी हो जाता है व कार्य करने की क्षमता में वृद्धि होने लगती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इन्हें तप की देवी कहा जाता है क्योंकि इन्होंने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। वह साल तक भूखे प्यासे रहकर शिव को प्राप्त करने की अपनी इच्छा पर अडिग रहीं। इसलिए इन्हें तपश्चारिणी के नाम से भी जाना जाना जाता है। ब्रह्मचारिणी या तपश्चारिणी माता का यही रूप कठोर परिश्रम को सीख देता है कि किसी भी चीज को पाने के लिए तब करना चाहिए। बिना कठिन तप के कुछ भी प्राप्त नहीं हो सकता। एक मान्यता यह भी है कि माता के इस रूप की पूजा करने से मन स्थिर रहता है और इच्छाएं पूरी होती हैं।
दुर्गा सप्तशती का पाठ करने वालों की संख्या कम नहीं
चैत्र नवरात्र में मां दुर्गा की आराधना यूं तो घरों में रोज हो रही है लेकिन कुछ भक्तों ऐसे हैं जो दुर्गा मंदिरों में सुबह- शाम आकर माता के पाठ के समय आराधना में डूबे रहते हैं। सुबह में ही मंदिरों में दुर्गा सप्तशती का पाठ सुनने के लिए तांता लग रहा है। कुछ लोग मंदिरों में अपनी पुस्तक भी ला रहे हैं। पंडित जी के पाठ समाप्ति के बाद वे माता के सामने पाठ कर रहे हैं। माता मंदिरों में पाठ के लिए शहर के भगवान बाजार दुर्गा मंदिर ,जगदंबिका मंदिर, दहियावा दुर्गा मंदिर , कोनिया माई मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ रही है। लोग सुबह- शाम माता का पाठ कर रहे हैं । भक्तों का कहना है कि सामूहिक रूप से पाठ सुनने में आराधना में आसानी होती है। मंदिर में मन भी शांत रहता है। भगवान बाजार दुर्गा मंदिर के पुजारी ने कहा कि वासंतिक नवरात्र में भी मंदिरों में आकर पाठ करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या कम नहीं है। हर साल श्रद्धालुओं की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है। घरों में कलश स्थापित कर पूजा करने वाले लोग भी मंदिरों में आकर माता रानी का पाठ सुन रहे हैं।

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