छठ व्रतियों ने दिया अस्ताचलगामी सूर्य को अर्ध्य

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उत्साह
पीतल व बांस की सुपली में ठेकुआ, नारियल, फल व ईख के साथ अस्ताचलगामी सूर्य को अर्ध्य दिया गया
कोरोना काल को लेकर घरों में ही व्रतियों ने दिया अर्ध्य
आज उदीयमान सूर्य को अर्ध्य देकर व्रत का समापन करेंगी
04 दिवसीय महापर्व को ले माहौल भक्तिमय
फोटो संख्या- 09 कैप्शन रविवार को रघुनाथपुर के मीरपुर गांव में सूर्य को अर्ध्य देती महिलाएं।
सीवान। हिन्दुस्तान संवाददाता
चैती छठ को लेकर शहर से गांव तक उल्लास व उमंग बना हुआ है। कोरोना संक्रमण के कारण भले ही लोक आस्था के महापर्व चैती छठ घर पर ही मनाया जा रहा हो, लेकिन इससे व्रतियों के उत्साह में कोई अंतर नहीं आया है। छठ को लेकर संपूर्ण इलाका भक्तिमय हो गया है। महापर्व के तीसरे दिन रविवार को छठ व्रतियों ने अस्ताचलगामी सूर्य को पहला अर्ध्य दिया। पीतल व बांस की सुपली में ठेकुआ, नारियल, फल, ईख आदि के साथ अस्ताचलगामी सूर्य को अर्ध्य दिया गया। छठ घाटों पर अर्ध्य नहीं पड़ने से घाट जहां वीरान रहे वहीं घर-आंगन में छठी मईया के गीत गूंजते रहे। कांच ही बांस के बहंगिया बहंगी लचकत जाए, उ जे केरवा जे फरेला घवद से ओपे सुगा मेढराये व कोपी कोपी बोलेली छठी मईया सुनी ए सेवक लोग बजते रहे। अस्ताचलगामी सूर्य को अर्ध्य देने के बाद रात्रि में कोशी भरी गई। मिट्ठी के बने बर्तन कुड़ेसर व ढकनी में चना, साठी का चावल, चूड़ा, खजूर के साथ फल भी रखे गए। फिर उस पर दीपक जलाएं गए। छठ व्रतियों ने बताया कि सारे कार्य ने निव्रित होने के बाद आधी रात से घाट सेवा जाएगा। उसके बाद सोमवार की सुबह उदीयमान सूर्य को अर्ध्य देकर व्रत का समापन करेंगी। छठ व्रत के संदर्भ में पंडित उपेन्द्र पांडेय ने बताया कि पौराणिक मान्यता है कि छठी मैया सूर्य देव की बहन है। यही कारण है कि छठ व्रत में सूर्यदेव की पूजा होती है। मान्यता है कि छठी मईया संतानों की रक्षा करती है और उनको दीर्घायु प्रदान करती है। शास्त्रों में षष्टी देवी को ब्रह्मा जी की मानस पुत्री भी कहा जाता है।
व्रतियों ने अस्ताचलगामी सूर्य को दिया अर्घ्य
सिसवन। लाक आस्था के महापर्व चैती छठ के लिए व्रती महिलाओं ने रविवार को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया। कोरोना को लेकर सरकार द्वारा सामूहिक रूप से कार्यक्रम पर रोक है। लेकिन सरयू नदी के विभिन्न घाटों पर सोशल डिस्टेंस के साथ व्रती महिलाओं ने अर्घ्य अर्पण किया। चार दिवसीय इस महापर्व में महिलाओं ने पूरे दिन उपवास रखा। शाम में अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य अर्पण किया। सोमवार को उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पण करने के बाद छठ का समापन होगा। कोरोना को लेकर विशेष रौनक नहीं देखी गई। अधिकांश परिवारों ने घर में ही बर्तन में पानी रख डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया।

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