टीबी की लड़ाई में डॉट्स है जरूरी

जमुई। जिले के झाझा प्रखंड के निवासी 25 वर्षीय सोनू राय स्नातक की पढ़ाई कर चुके हैं। वे प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं। वर्ष 2017 के नवंबर में दो सप्ताह से अधिक घबराहट, सांस लेने में दिक्कत, शाम के समय बुखार और खांसी में आये बलगम में खून की बूंदें जैसे लक्षणों के कारण झाझा स्थित एक निजी चिकित्सक से इलाज कराने लगे। स्वास्थ्य में सुधार न होने की दशा में जिला क्षय रोग केंद्र से जुड़े। तभी टीबी चैंपियन राजीव रावत से मुलाकात हुई और संबंधित वरीय यक्ष्मा पर्यवेक्षक से परिचय कराया। आवश्यक जांच और परामर्श के क्रम में उन्हें यक्ष्मा है की जानकारी दी गयी। इसके बाद निकटम डॉट्स केंद्र प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, झाझा से जुड़ गये। सोनू राय ने कहा कि समय-समय पर जरूरी नियमित जांच- दवाई लेने और परामर्श से कुछ ही सप्ताह में ठीक हो गया। इसमें सरकार द्वारा दी जा रही सहायता राशि भी मददगार सिद्ध हुई। ऐसे रोगी से दूरी बरतने की जगह उन्हें डॉट्स से जोड़ना मानवता की सेवा करने जैसा है। इस समय कोरोना के संक्रमण से बचने का भी हरसंभव प्रयास करें और संबधित सरकार के दिशा निर्देशों जिसमें मुख्यत: मास्क लगाना, दो गज की दूरी, नियमित अंतराल पर हाथों को साबुन से धोते रहने और इमरजेंसी के अलावा बाहर न जाने का पालन करना है। इस बाबत डॉ. रमेश प्रसाद, सहायक मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी, जमुई ने बताया सोनू राय चूंकि प्रथम स्तर के टीबी की दवा जो निर्धारित छह माह तक खाने होते हैं। इसमें नियमित तौर पर खाया और जरूरी जांच के पश्चात टीबी मुक्त हो कर जन जागरूकता का कार्य कर रहे हैं, यह सराहनीय है। ऐसे ही जागरूक युवाओं की न केवल विभाग बल्कि जिले स्तर पर जरूरत है। टीबी चैंपियन और समाजसेवी राजीव रावत ने बताया कि पिछले 10 वर्ष पूर्व टीबी के गंभीर संक्रमण और कई परेशानियों का सामना करते हुए डॉट्स को अपनाकर पूर्णत: स्वस्थ हुआ हूं और प्रेरित हो ठान लिया कि ऐसी परिस्थिति में पड़े हुए लोगों की नि:स्वार्थ यथासंभव मदद के लिए तत्पर रहूंगा। मेरी अपील है कि डॉट्स के तहत मिलने वाली दवाई सरकार द्वारा पूरी तरह से नि:शुल्क है और इसकी जानकारी सभी को पहुंचाने की पहल सरकार-समाज के जागरूकों को निरंतर करते रहने की जरूरत है।


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