ब्रजलीला के बाद श्रीकृष्ण ने किया कंश का वध

दरभंगा। ब्रजलीला के बाद श्रीकृष्ण मथुरा गए। कंस का वध कर अपने माता-पिता देवकी-वासुदेव को कारागार से मुक्त किया। गुरुकुल संदीपन मुनि के आश्रम में विद्या प्राप्त कर यदुवंशियों के राजा बने। शिक्षा के बिना जीवन अधूरा होता है। शिक्षा ही जीवन को कुशल बनाते हुए पूर्णता प्रदान करती है। विद्या प्राप्त कर यदि जीवन में विनम्रता एवं पात्रता नहीं आई तो शिक्षा अधूरी मानी जाएगी। भक्ति के बिना ज्ञान पंगु है एवं ज्ञान के बिना भक्ति अंधी है। भक्ति ज्ञान परस्पर एक-दूसरे के पूरक माना गया है। उक्त बातें कथावाचक आचार्य हेमचंद्र ठाकुर ने कही। वे बुधवार को बासंती दुर्गा पूजा समिति महारानी लक्ष्मीपुर ड्योढ़ी आनंदपुर सहोड़ा स्थित आयोजित श्रीमछ्वागवत नवाह कथा ज्ञान यज्ञ के अंतिम दिन प्रवचन के दौरान उक्त बातें कही। उन्होंने कृष्ण-सुदामा मिलन प्रसंग की मार्मिक व्याख्या की। सुदामा एक संयम सदाचार एवं इन्द्रीय दमन के प्रतीक माने गए हैं, भागवत के अंदर सुदामा का नाम न लेकर सुकदेवजी उनका गुणात्मक परिचय दिया है। जो व्यक्ति जीवन में संयम सदाचार का पालन करते हुए इन्द्रिय दमन करते हैं, सरस्वती की कृपा उन्हीं पर होती है एवं पार ब्रह्म कृष्ण से उन्हीं की मित्रता होती है। उन्होंने कहा कि आज भी कृष्ण-सुदामा की मित्रता संसार में मिशाल के रूप में लिए जाते हैं। मित्रता में कोई न बड़ा,न कोई छोटा, न कोई अमीर व न कोई गरीबी का ख्याल किया जाता है। मित्रता करके निर्वाह करना ही उचित माना गया है। अंत मे उन्होंने तमाम श्रद्धालुओं से भागवत धर्म अपनाने व सत्संग का आदर करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि सत्संग से ही जीवन में दिव्यता आई है इस मौके पर पूजा कमेटी के अध्यक्ष कृष्णकांत चौधरी रमणजी, रामबाबू झा, मणिकांत झा मन्नू, विपिन झा, पारसनाथ चौधरी, नवीन कुमार चौधरी, दीपक झा, पंडित मेधानंद झा, रामविनोद झा, विवेकानंद चौधरी, आचार्य ललन मिश्र, देवेन्द्र मिश्र, फूलबाबू मिश्र, पंडित बैजू झा, विजय चौधरी, मुन्ना शर्मा, वंशीधर झा, देवेन्द्र मिश्र, ललित मिश्र, विवेकानंद चौधरी, नवीन कुमार चौधरी, गोपाल चौधरी, विजय चौधरी, सतीश शर्मा, संजय पासवान, विश्वनाथ पासवान, मुन्ना झा आदि सक्रिय थे।


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