रमजान को कहते हैं कुरान का महीना

पाक माह

रोजा से गरीबों के प्रति बढ़ती है मोहब्बत
रमजान में सारे गुनाह कर दिए जाते हैं माफ
फोटो-7. नवलपुर मस्जिद के इमाम हाफिज मो. एसरार अहमद बरकाती।
बड़हरिया। एक संवाददाता
प्रखंड के नवलपुर मस्जिद के इमाम हाफिज मो. एसरार बरकाती ने कहा कि रमजान में रोजा रखना दूसरे की मदद करने का जज्बा पैदा करता है। जिस तरह जुमा सभी दिनों का सरदार है उसी तरह रमजान का महीना सभी महीनों का सरदार है। इस महीना में कुरान नाजील हुआ था। इसलिए रमजान को कुरान का महीना भी कहते हैं। रमजान में हमें भूखे प्यासे रहने से गरीब असहाय की भूख और प्यास का एहसास होता है। जिससे इंसान के अंदर गरीबों के प्रति मोहब्बत बढ़ती है। रमजान में एक बार दरूद शरीफ पढ़ने से एक लाख दरूद शरीफ पढ़ने का सवाब मिलता है। उन्होंने कहा कि रमजान का दूसरा आसरा मगफेरत का है। जिसमें रोजा रखकर इबादत करने से अल्लाह हमारे गुनाहों को माफ कर देता है। इसलिए हमें रोजा रखकर इबादत करते हुए अल्लाह से अपने गुनाहों से माफी मांगनी चाहिए। साथ ही साथ अपने घरों में रहकर इबादत करने के साथ-साथ देश को कोरोना बीमारी से सुरक्षा की दुआ मांगनी चाहिए।

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