पशुपालन और मत्स्य पालन कर बढ़ाई अपनी आमदनी

किशनगंज। किसान अगर कोशिश करें तो मिश्रित खेती के माध्यम से फसल उत्पादन के साथ दूध उत्पादन सुगमतापूर्वक कर सकते हैं। इस तकनीक से खेती करने में कम भूमि के साथ कम पूंजी की जरूरत पड़ती है। यानी पशुपालन के साथ-साथ मत्स्य पालन किसान अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं। यह जानकारी डेयरी फिल्ड ऑफिसर एसएन सिंह ने दी।

उन्होंने बताया कि गोबर का उपयोग खाद के रूप में तालाब और खेतों में किया जाता है। सभी पशुओं में गाय के उत्सर्जी पदार्थ में सबसे अधिक पोषक तत्व पाए जाते हैं। ऐसे गोबर में 0.3 फीसद नेत्रजन, 0.2 फीसद फॉस्फोरस और 0.1 फीसद पोटाश पोषक तत्व के रूप में पाए जाते हैं।

तालाबों में इसके उपयोग से कम ऑक्सीजन की खपत होती है। हानिकारक गैस उत्पन्न नहीं होते हैं। साथ ही गोबर के प्रयोग से आठ से लेकर दस दिनों के अंदर मछलियों के लिए प्राकृतिक आहार उत्पन्न होने लगते हैं। पांच से लेकर छह दुधारू मवेशी एक हेक्टेयर जल क्षेत्र के लिए पर्याप्त होते हैं। पशुपालक अपनी सुविधानुसार तालाब के बांध के उपर मवेशी शेड बना सकते हैं। ताकि गोबर सीधे तालाब में चला जाय। खुले जमीन के कुछ हिस्सों पर घास भी उत्पन्न कर सकते हैं जिससे मवेशियों द्वारा छोड़ा गया घास-फूस तालाब में पाले जाने वाले मछलियों को दिया जा सके। इस विधि से एक हेकटेयर में प्रतिवर्ष पशुपालक लगभग नौ हजार लीटर दूध और तीन से लेकर चार हजार किलोग्राम मछलियों का उत्पादन कर सकते हैं।
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