गेहूं की खरीदारी पर संक्रमण का साया, बाजार भाव भी हुआ कम

-145 पैक्स और 08 व्यापार मंडल को गेहूं खरीद के लिए मिली है हरी झंडी -पांच दिन बीतने के बाद भी आठ किसानों से 21.9 एमटी गेहूं की खरीद हो पाई संभव -किसान अपने उत्पादन को औने-पौने दामों पर बेचने को हो रहे हैं विवश ----------------------------------------- जागरण संवाददाता, सुपौल: कोरोना की दूसरी लहर ने हर तबके के लोगों को मुश्किल में दे रखा है। हर तरफ भय का माहौल बना हुआ है, संक्रमण के इस साया से सबसे ज्यादा प्रभावित है तो यहां के अन्नदाता। कड़ी मेहनत और खून-पसीने से उनके उत्पादन को न सरकारी क्रय व्यवस्था का लाभ मिल रहा है और न ही उन्हें बाजार मूल्य। परिणाम है कि किसान एक बार फिर उत्पादन को बेचने के लिए न सिर्फ दर-दर की ठोकरें खा रहा है, बल्कि वह साहूकारों के हाथ की कठपुतली बन जा रहा है। दरअसल पिछले साल मक्के की तरह इस वर्ष गेहूं की फसल कोरोना की चपेट में फंस गई है। कोरोना की दूसरी लहर के बीच किसानों के गेहूं फसल तैयार है, सरकार ने समर्थित न्यूनतम मूल्य पर फसल खरीदारी की शुरुआत कर दी है। परंतु कोरोना संक्रमण का साया इस तरह लोगों में फैला हुआ है कि अधिकांश क्रय केंद्र खरीदारी नहीं कर रहे हैं। इधर बाजार मूल्य में भी गिरावट आई है। उसमें भी तब डीजल की कीमतों में वृद्धि के कारण एक साल खेती में लागत खर्च बढ़ गया था। परिणाम है कि किसान अपने उत्पादन को औने-पौने दामों पर बेचने को विवश हैं।

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बसंतपुर को छोड़ किसी पैक्स में बोहनी तक नहीं हो पाई संभव
सरकारी फरमान के अनुसार 20 अप्रैल से गेहूं की खरीदारी शुरू की जानी थी। निर्धारित समय के पांच दिन बाद विभाग ने 145 पैक्स और आठ व्यापार मंडल को गेहूं खरीद के लिए हरी झंडी दे दी। लेकिन विडंबना देखिए कि खरीदारी के पांच दिन बीतने के बाद भी सिर्फ आठ किसानों से 21.9 एमटी गेहूं की खरीद संभव हो पाई है। जिसमें बसंतपुर प्रखंड को छोड़ अन्य किसी प्रखंडों में अधिकृत व्यक्ति या व्यापार मंडल ने अभी तक बोहनी भी नहीं की है।
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बाजार मूल्य में भी आई गिरावट
किसान बताते हैं कि जब गेहूं की कटाई हो रही थी तो उस समय दरवाजे पर ही प्रति क्विटल 1680 रुपए तक का भाव दिया जा रहा था। तब बहुत किसानों ने सरकारी खरीद शुरू होने और अच्छा मिलने की उम्मीद में गेहूं का सौदा नहीं किया और अपने घरों में भंडारण कर लिया और गेहूं का भाव घटकर 1610 रुपये प्रति क्विटल हो गया है। इधर सरकार ने गेहूं का भाव 1975 रुपए तय किया है। ऐसे में सस्ते दामों पर गेहूं बेचने से खेती का खर्चा भी नहीं निकल पा रहा है।
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संक्रमण के डर से नहीं आते हैं किसान
विभाग ने जिले के सभी 11 प्रखंडों में जिन 145 पैक्सों को गेहूं खरीद के लिए अधिकृत किया है उसमें से अभी तक बसंतपुर प्रखंड के तीन पैक्स में आठ किसानों से महज 21.9 दो एमटी गेहूं की खरीदारी की है। शेष अन्य प्रखंडों में खरीदारी की अभी शुरुआत भी नहीं की गई है। जबकि विभाग ने 145 पैक्स के अलावा आठ व्यापार मंडल को भी गेहूं खरीद के लिए अधिकृत किया है। कई पैक्स अध्यक्ष ने बताया कि कोरोना के इस संक्रमण काल में किसानों से गेहूं खरीद कर पाना संभव नहीं है। एक तो संक्रमण के डर से मजदूर आना नहीं चाहता दूसरी ओर भीड़ से डर लगता है।
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