हर खेत को पानी योजना फिसड्डी, महंगी हो रही सिचाई

-कोट

हर खेत पानी योजना के लिए विभाग के द्वारा कुछ जेई को नॉमिनेट किया गया है। जिनका नोडल सुपौल पड़ता है, जेई अपना रिपोर्ट नोडल को देंगे। मुझे इस संबंध में कोई जानकारी नहीं है।
दयाशंकर राय
एसडीओ, केनाल विभाग
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संवाद सहयोगी, वीरपुर(सुपौल): मुख्यमंत्री के विकासशील योजनाओं में हर खेत पानी योजना सीमावर्ती क्षेत्र में नहरों का जाल रहने के बाद भी फिसड्डी साबित हो रही है। सरकार की मंशा इस तरह की योजना के माध्यम से गांवों में ऊंचे जगहों पर अवस्थित खेतों में सिचाई के लिए पानी आसानी से उपलब्ध कराना है। सीमावर्ती क्षेत्र में तो पहले से नहरों का जाल बिछा हुआ है। कोसी नदी से बिहार के कई जिलों में नहर से सिचाई किये जाने की सुविधा है और नहर और उसके आसपास के खेतों में सहूलियत से पटवन हो जाता है। जबकि 2008 में हुई त्रासदी में कुछ नहर और उपनहर ध्वस्त भी हो गए थे। लेकिन उनको दुरुस्त कर लिया गया है। जहां से समय-समय पर नदी से पानी छोड़ा जाता है और वही पानी नहर के माध्यम से खेतों तक आसानी से पहुंच जाते हैं। लेकिन पंचायत में ऐसे कई जगह है जहां की उपजाऊ भूमि नहर से काफी दूर स्थित है और वहां भी समय-समय पर पटवन के लिए सरकार द्वारा जल-जीवन-हरियाली मिशन के तहत हर खेत पानी की योजना चलाई गई। जिसको मंजिल तक पहुंचाने के लिए नहर विभाग के एसड़ीओ को इसकी जिम्मेवारी दी गयी थी। इसके लिए नहर से लेकर हर खेत तक पानी पहुंचाने के लिए पंचायत के हर वार्ड में किसानों के साथ मीटिग कर संबंधित जेई को रिपोर्ट आगे बढ़ाना था। लेकिन इस योजना की तरफ कोई सार्थक पहल होती नहीं दिख रही है। यहां कई ऐसे वार्ड भी हैं जहां आजतक इस योजना के क्रियान्वयन को लेकर किसान के साथ बैठक भी नहीं हुई है। नतीजा है कि यह एक महत्वपूर्ण योजना अभी तक धरातल पर नहीं पहुंच सकी है।
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