दिल्ली के जदीद कब्रिस्तान अहले इस्लाम में सुपुर्दे खाक हुए मो. शहाबुद्दीन

शोक

मौलाना एम आरिफ कासमी ने पढ़ाई जनाजे की नमाज
दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल से एम्बुलेंस से शव लाया
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कैप्शन - दिल्ली के आईटीओ बेरुन नई दिल्ली गेट स्थित जदीद कब्रिस्तान अहले इस्लाम में मो. शहाबुद्दीन के सुपुर्दे खाक में मौजूद पुत्र ओसामा व अन्य।
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कैप्शन - लकड़ी के बक्से में शहाबुद्दीन के शव को दफनाने के लिए ले जाते हुए लोग।
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कैप्शन - नई दिल्ली गेट स्थित जदीद कब्रिस्तान में पिता के शव को मिट्टी देते ओसामा व अन्य।
सीवान। हिन्दुस्तान संवाददाता
आखिरकार मो. शहाबुद्दीन को उनके पैतृक गांव सीवान के प्रतापपुर गांव में दफनाने की मांग पूरी नहीं हुई। आरजेडी के पूर्व सांसद को नई सोमवार की देर शाम दिल्ली के आईटीओ बेरुन दिल्ली गेट स्थित जदीद कब्रिस्तान अहले इस्लाम में सुपुर्दे खाक कर दिया गया। इससे पहले मौलाना एम आरिफ कासमी ने जनाजे की नमाज पढ़ाई। लकड़ी के बॉक्स में कफन में लपेट कर शव को दफन किया गया। इस दौरान माहौल पूरी तरह से गमगीन था। शनिवार को दिल्ली दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल में इलाज के दौरान मो. शहाबुद्दीन की मौत हो गई थी। शव को सुपुर्दे खाक के लिए एम्बुलेंस से जदीद कब्रिस्तान लाया गया था। प्रशासन द्वारा 20 लोगों को ही सुपुर्दे खाक में शामिल होने की अनुमति दी गई थी। पिता के शव को मिट्टी देने के लिए इकलौते पुत्र ओसामा शहाब व परिवार के कुछ सदस्यों के अलावा ओखला विधायक अमानतुल्लाह, इमरान प्रतापगढ़ी, समस्तीपुर के शेरु खान, सीवान के धनंजय कुशवाहा, बबलू अंसारी, फरीद खान, साबिर मुखिया, बशर अली खान, फकरुद्दीन अहमद, अकील अहमद राही, हाजी एहसानुलक, एनामुल्लाह, अदनान, लालबाबू, व रब्बानी भी थे।
अस्पताल में शहाबुद्दीन समर्थकों का फूटा आक्रोश
सीवान। पंडित दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल में मो. शहाबुद्दीन का शव लेने को लेकर कुछ समय तक अफरातफरी का माहौल बना रहा। सीवान के अलावा दिल्ली व अन्य जगहों के समर्थक अस्पताल में जुट गए थे। इस दौरान अस्पताल में काफी संख्या में पुलिसबल की तैनाती कर दी गई। सूत्रों के अनुसार समर्थक इस बात से काफी नाराज थे कि मो. शहाबुद्दीन के शव को परिजनों के हवाले नहीं किया जा रहा है। समर्थकों का कहना था कि यह शव किसी आम आदमी का नहीं है, बल्कि चार बार सांसद रहे शहाबुद्दीन का है। समर्थक पुलिस को वर्दी की धौंस नहीं दिखाने की बात कह रहे थे। आक्रोशित समर्थक केन्द्र व राज्य सरकार के साथ ही जेल व अस्पताल प्रशासन पर शहाबुद्दीन की हत्या करने का आरोप लगा रहे थे।

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