आदेश के बाद भी निजी एंबुलेंस व शव वाहनों की नहीं बढ़ी संख्या

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विवश
किराया बढ़ जाने से लोगों की जेबों पर बोझ बढ़ गया
शव वाहन रखने का आदेश धरा का धरा रह गया है
फोटो- 13, मरीजों की प्रतिक्षा में सदर अस्पताल गेट के बाहर खड़े प्राईवेट एंबुलेंस।
सीवान। निज प्रतिनिधि
जिले में दैनिक भाड़े पर निजी एंबुलेंस व शव वाहन रखने का आदेश धरा का धरा रह गया। मिली जानकारी के अनुसार एंबुलेंस की संख्या में बढ़ोत्तरी नहीं की गयी है। सामान्य दिनों में जितनी संख्या में एंबुलेंस की मदद ली जा रही थी, उन्हीं से अब भी सेवाएं ली जा रही हैं। लिहाजा अस्पताल आए मरीजों को सीमित संख्या में उपलब्ध एंबुलेंस की मदद ले रहे हैं या फिर प्राईवेट एंबुलेंसों की मदद लेने को विवश हैं। प्राईवेट एंबुलेंस का किराया इनदिनों बढ़ जाने के कारण लोगों की जेबों पर काफी बोझ बढ़ गया है। इधर वैश्विक महामारी कोविड-19 के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए बीते 23 अप्रैल को राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक मनोज कुमार ने पत्र के माध्यम से दैनिक भाड़े पर आवश्यकतानुसार सभी जिलों में निजी एंबुलेंस रखने के लिए निर्देशित किया गया था। निजी एंबुलेंस व शव वाहन रखने की इस अवधि को वर्ष 2021 के जून माह तक विस्तारित किया गया था।
निर्धारित दर पर शव वाहन या निजी एंबुलेंस उपलब्ध कराना था मकसद
सांस लेने में तकलीफ वाले गंभीर रोगियों को दूसरे अस्पतालों में शिफ्ट करने या फिर घर तक शव ले जाने के दौरान सभी को एंबुलेंस की सेवा आसानी से उपलब्ध हो इसे लेकर आवश्यकतानुसार दैनिक भत्ता वाले एंबुलेंस को रखना था। जो 15 दिन बीत जाने के बाद भी अबतक नहीं हो सका है। जबकि पत्र में यह भी स्पष्ट किया गया था कि निजी एंबुलेस या शव वाहन पर होने वाले परिचालन व्यय का भुगतान नेशनल हेल्थ मिशन के वित्तीय नियमावली के तहत किया जायेगा। राशि की कमी होने की स्थिति में तत्काल उपलब्ध कराई जायेगी।
आठ एंबुलेंस के सहारे चल रहा है काम
सदर अस्पताल में कुल आठ एंबुलेंस हैं जो सामान्य रोगियों के अलावा कोविड-19 संक्रमितों की सेवा में लगे हुए हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार एक ही एंबुलेंस से दोनों प्रकार के मरीजों को ढ़ोने से पहले उसे सेनेटाइज किया जा रहा है। इधर प्राईवेट एंबुलेंस इस आपदा की घड़ी को ही अवसर मान रहे हैं। बताया जाता है कि पटना ले जाने के लिए जहां पहले चार हजार किराया लेते थे। वहीं इनदिनों छह हजार से आठ हजार तक ले रहे हैं।

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