आखिरत की फिक्र और अल्लाह का जिक्र है रमजान

नसीहत

रमजान का बाइसवां रोजा रख लोगों ने की इबादत
रमजान माह में होती है रहमतों व बरकतों की बारिश
फोटो-17 मौलाना कासिफ रजा।
हसनपुरा। एक संवाददाता
रमजान मुबारक का तीसरा असरा चल रहा है। इस दौरान रोजेदारों ने रोजा रख खुदा की इबादत की। वहीं मौलाना कासिफ रजा साहब ने बताया कि आखिरत की फिक्र और अल्लाह का जिक्र है रमजान के हर रोजा। वहीं उन्होंने कहा कि रमजान माह के असरे का अलग-अलग अहमियत होता है। सबसे खास तीसरा असरा होता है। जहां रमजान के आखिर में सभी रोजा रख अल्लाह का नेक बन्दा इन दिनों काफी इबादतों में मशगूल रहता है। खुदा ने आखिरी 27 रोजे को शब-ए-कद्र के रूप में भी रखा है। जहां इस मुकद्दस रात में कुरआन भी मुकम्मल हुआ। ये सभी अहम दिनों की रात में इबादत की रातें होती हैं। इन दिनों के रात में हर रोजेदार इबादत के बाद अपने गुनाहों से माफी मांगता है। जिसको खुदा कबूल भी करता है। साथ ही अल्लाह की इबादत करने वाले मोमिन के दर्जे बुलंद होते हैं। गुनाह बख्श दिए जाते हैं। दोजख की आग से निजात मिलती है। वैसे तो पूरे माहे रमजान में बरकतों और रहमतों की बारिश होती है। ये अल्लाह की रहमत का ही सिला है कि रमजान में एक नेकी के बदले सत्तर नेकियां नामे-आमाल में जुड़ जाती हैं। लेकिन तीसरे की इबादत, तिलावत और दुआएं कुबूल व मकबूल होती हैं। वहीं घरों में कुरआन की तिलावत करने वाली मुस्लिम महिलाएं भी कुरआन मुकम्मल करती हैं। अल्लाह हर तरह से चाहता है कि मेरा बन्दा इस आखिरी मुकाम में कितना अजीज है।

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