स्वास्थ्य संविदाकर्मियों ने काला बिल्ला लगाकर काम किया

एकजुटता

मांगों के समर्थन में कर्मियों ने जताया है विरोध
11 मई के बाद आइसोलेशन में जाने का निर्णय
भगवानपुर हाट। एक संवाददाता
कोरोना संक्रमण के वैश्विक संकट में अपनी जान की बाजी लगाकर स्वास्थ्य संविदाकर्मी दिनरात लोगों के सेवा में जुटे हुए हैं। लेकिन अबतक इन्हें सरकारी कर्मी का दर्जा नहीं मिल पाया है, इससे वे परेशान हैं। वे लोग अपनी मांगों को लेकर आवाज उठाते रहे हैं, लेकिन सरकार ने इनकी मांगें नहीं मानी है। एक बार फिर स्वास्थ्य संविदा कर्मी संघ के आह्वान पर संविदा स्वास्थ्यकर्मियों ने अपना आंदोलन शुरू किया है। इसके तहत शुक्रवार को सीएचसी में तैनात संविदा स्वास्थ्यकर्मियों ने अपने मांगों के समर्थन में काला बिल्ला लगाकर काम किया। स्वास्थ्य प्रबंधक गुलाम रब्बानी ने कहा कि संघ के आह्वान पर 06 से 11 मई तक काला बिल्ला लगाकर काम करेंगे। अगर इतने दिनों में सरकार हमारी मांगों को नहीं मानती है, तो संघ के आह्वान पर सभी संविदा स्वास्थ्यकर्मी 11 मई के बाद होम आइसोलेशन में चले जाएंगे। उन्होंने कहा कि सरकारी स्वास्थ्यकर्मियों को कोरोनाकाल में मृत्यु होने पर पचास लाख रुपये नगद, 60 वर्ष तक उसके आश्रित को पूरा वेतन, पेंशन, एक आश्रित को नौकरी देने का प्रावधान है। लेकिन संविदा स्वास्थ्यकर्मियों के लिए ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है। कोरोना संक्रमण से संविदा स्वास्थ्यकर्मियों की मृत्यु होने पर कोई बीमा नहीं होने से उन्हें कोई राशि नहीं मिलेगी और न हीं उनके आश्रित को कोई अनुकम्पा पर नौकरी हीं मिलेगी। जबकि संविदाकर्मी अपनी जान को जोखिम में डालकर कोरोना जांच, टीकाकरण, दवा वितरण, डाटा तैयार करने जैसे महत्वपूर्ण काम करते हैं। काला बिल्ला लगाकर काम करने वाले संविदा स्वास्थ्यकर्मियों में आरबीएस के डॉ. कुमारी स्मृति सुमन, डॉ. वरुण कुमार, फार्मासिस्ट कौशलेंद्र कुमार सिंह, जितेंद्र कुमार, अनूप कुमार ठाकुर, वृजकिशोर प्रसाद व विजय कुमार शामिल हैं।

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