कोरोना काल में भी मदद नहीं, वित्तरहित शिक्षकों की नियति बनी आर्थिक तंगी

कोरोना काल में भी मदद नहीं, वित्तरहित शिक्षकों की नियति बनी आर्थिक तंगी

कोरोना संक्रमण और साथियों की मौत से आहत हैं वित्तरहित शिक्षक
बगैर आंदोलन अल्पसंख्यक विद्यालयों के शिक्षकों को छठा वेतनमान
छपरा/बनियापुर। हिप्र/एप्र
चालीस वर्षों से वेतन के इंतजार में आर्थिक तंगी झेल रहे वित्तरहित शिक्षकों की पीड़ा सुनने वाला कोई नहीं है। बेबसी का दंश झेल रहे वित्तरहित शिक्षकों की फरियाद को हर बार ठंडे बस्ते में डाल देना नियति बन गई है। कोरोना काल में भी कोई मदद न मिलना राज्य सरकार की संवेदनहीनता का परिचायक है। कोरोना के संक्रमण की दौर से निपटने के लिए आठ माह पूर्व भी वित्त रहित शिक्षकों ने केंद्रीय गृहमंत्री के समक्ष मदद की गुहार लगाई थी। इसके पूर्व राज्य सरकार सहित सभी आलाधिकारियों व मंत्रियों को भी शिक्षकों ने अपनी दुर्दशा से अवगत कराया है लेकिन उनकी गुहार का कोई नतीजा नहीं निकला। आज एक बार फिर देश व राज्य कोरोना के संक्रमण काल से गुजर रहा है। आर्थिक तंगी से शिक्षक एक-एक कर कालकलवित हो रहे हैं। एक तरफ कोरोना के संक्रमण का डर तो दूसरी तरफ शिक्षक साथियों की मौत से वित्त रहित शिक्षक संघ सदमे में है।
बगैर आंदोलन अल्पसंख्यक विद्यालयों के शिक्षकों को छठा वेतनमान
अनुदान नही वेतनमान फोरम के सारण जिला प्रवक्ता डॉ. उपेंद्र कुमार सिन्हा ने बताया कि तुष्टिकरण की नीति अपनाकर सरकार अल्पसंख्यक विद्यालयों के शिक्षकों को बगैर आंदोलन छठा वेतनमान दे दी जबकि वित्तरहित शिक्षकों की सुधि लेने वाला कोई नही है। वितरहित के समान प्रबंधकीय व्यवस्था के तहत संचालित 1150 मदरसा स्कूलों के शिक्षकों को सरकार दो वर्ष पूर्व से वेतनमान दे रही है। जहां एक खास संप्रदाय के विद्यार्थी ही पढ़ते हैं । इन छात्रों की संख्या बिहार के कुल विद्यार्थियों का पांच प्रतिशत भी नही है जबकि 1450 वितरहित स्कूल-कॉलेज में 60 प्रतिशत छात्र छात्रा पढ़ते हैं। इन विद्यालयों के शिक्षकों को बिहार सरकार द्वारा उपेक्षित रखा गया है।
लॉकडाउन में सबको मिल रही मदद, वित्तरहित शिक्षक उपेक्षित
वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण को लेकर हुए लॉकडाउन में सरकार सबकी मदद कर रही है। वित्तरहित शिक्षकों की आर्थिक सहायता की गुहार व पीड़ा-पत्र भेजने के बाद भी सरकार ने कोई सम्वेदना प्रकट नहीं की। इधर, वर्ष 2008 से विद्यार्थियों के उत्तीर्णता के आधार पर राहत राशि (अनुदान) का प्रावधान किया गया। अनुदान राशि स्कूल-कॉलेज संचालन कर रहे प्रबंधन के खाते में भुगतान किया जाता है। इसे प्रबन्धन द्वारा नियमों निर्देशों को ताक पर रखकर मनमाने ढंग से वितरण कर शिक्षकों का शोषण और उत्पीड़न किया जाता है। जिला प्रवक्ता ने बताया कि अध्यापन के बदले वेतनमान के इंसाफ के लिए शिक्षक समूह केंद्र सरकार के शरण में यह अर्जी लगा रहे हैं। शिक्षकों को न्याय की भरोषा है। जानकारी हो कि सैकड़ों शिक्षकों ने अपनी पीड़ा को प्रकट करते हुए एकजुट होकर गृहमंत्री को पत्र प्रेषित किया था।

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