90 फीसद फेफड़ा संक्रमित होने के बाद पिता-पुत्री ने कोरोना को दी मात

पूर्णिया। जब तक सांस तब तक आस यह कहावत कोरोना संक्रमित पिता -पुत्री के लिए सही साबित हुई। रीना तिवारी बताती है कि यह उनके परिवार के लिए काफी कठिन समय था। उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और सदभावना अस्पताल के चिकित्सक भी 24 घंटा देखभाल करते रहे। तभी 90 फीसद तक फेफड़े में संक्रमण फैलने के बाद भी दोनों घर वापस लौटे। वह बताती हैं कि पहले उनके पति किसी कार्य से सिवान से लौटे तो बुखार से पीड़ित थे। उनकी हालत खराब हो रही थी। ऑक्सीजन लेवल काफी नीचे चला गया था। एचआरसीटी कराने पर पता चला फेफड़ा में 90 फीसद संक्रमित हो चुका है। उसके बाद अस्पताल में भर्ती कराया। सुशील कुमार आठ दिन आइसीयू में भर्ती रहे और उसके बाद स्वस्थ होकर बाहर आए। अभी उनकी तबीयत ठीक भी नहीं हुई थी कि पहले से ही बीमार उनकी बेटी जो सिल्लीगुड़ी में थी उसकी तबीयत भी बिगड़ गई। कोरोना संक्रमण फेफड़ा तक पहुंच गया था और 84 फीसद संक्रमित हो चुका था। उनकी बेटी 14 दिनों तक अस्पताल में भर्ती रही। उसमें 8 दिन वेंटिलेटर पर थी। अबतक के आंकड़े के मुताबिक पांच व्यक्ति अगर वेंटिलेटर पर जाता है तो उसमें एक व्यक्ति ही रिकवर कर पा रहा है। रीना तिवारी ने बताया कि उनकी बेटी और पति दोनों भगवान की कृपा से वापस लौट आए। रीना ने अस्पताल और अस्पताल के चिकित्सकों का आभार व्यक्त किया। डॉ. कौशल और उनकी टीम के प्रयास आज पति और बेटी दोनों उसके साथ है। रीना बताती है कि कोविड के साथ जंग में अपनी हिम्मत नहीं खोनी चाहिए। वह बताती है कि कोरोना संक्रमण होने पर समय पर उपचार प्रारंभ कर दें। स्थिति बिगड़ने का इंतजार नहीं करें। उनके मामले में स्थिति काफी गंभीर हो चुकी थी। कोरोना संक्रमण हो जाए तो हिम्मत और धैर्य से काम लें अपनी स्थिति के बारे में स्पष्ट तस्वीर चिकित्सक के पास रखें।


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