बिटकॉइन को भी पीछे छोड़ रहा है उसका 'छोटा अवतार', लांच होते ही बिक गए 100,000 'सिक्के'

बाजार की चाल देखकर नहीं लग रहा है कि क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन की मांग मंद पड़ने वाली है. कुछ दिनों की गिरावट छोड़ दें तो इस करेंसी ने दुनिया भार में तहलका मचा रखा है. अब तो दुनिया भार में मांग उठने लगी है कि इस नई करंसी को लेनदेन में वैध बनाया जाए. लेकिन कुछ व्यावहारिक दिक्कतों के चलते अभी ब्रेक लगा है. इस बीच बुधवार को एक्सचेंज ऑपरेटर सीएमई (CME) ग्रुप ने कहा कि लांच होने के महज 6 दिन के भीतर ही 1 लाख से ज्यादा माइक्रो बिटकॉइन फीचर्स बिक गए हैं. आने वाले दिनों में इसमें और तेजी देखे जाने की संभावना है.

माइक्रो बिटकॉइन को छोटे और एक्टिव ट्रेडर्स के लिए खात तरह से तैयार किय गया है. ‘रॉयटर्स’ की एक रिपोर्ट बताती है कि माइक्रो बिटकॉइन अपने असली बिटकॉइन का 10वां हिस्सा होता है. अब फुल साइज बिटकॉइन के साथ ही माइक्रो बिटकॉइन भी लांच किया गया है ताकि कस्टमर की मांग को पूरा किया जा सके. रेट के लिहाज से यह रेगुलर बिटकॉइन से कम है, इसलिए ग्राहक जोखिम को भी संभाल सकेंगे और अपने पैसे का सही प्रबंधन कर सकेंगे.
बिटकॉइन की बादशाहत
आज की तारीख में बिटकॉइन सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी है. इसके बाद ही इथीरियम या डोजकॉइन का नाम है. तमाम उतार-चढ़ाव के बावजूद बिटकॉइन की दुनिया में सबसे ज्यादा मांग है. मंगलवार को बिटकॉइन की ट्रेडिंग 55 हजार डॉलर से ऊपर चल रही थी. इससे पहले 14 अप्रैल को बिटकॉइन का दाम 65 हजार डॉलर पर गया था. इसमें पैसा लगाने वाले लोग देखते-देखते लखपति हो गए. कुछ रुपये में खरीदा जाने वाला बिटकॉइन आज 55 हजार डॉलर दे रहा है. अब भला कौन इसमें निवेश करना नहीं चाहेगा. इसका मतलब यह नहीं है कि जो चाहे खरीद सकता है. अब वह समय नहीं है क्योंकि इसकी माइनिंग मुश्किल हो गई है. इसीलिए ‘छोटे अवतार’ को मार्केट में उतारा जा रहा है.
भारत की बात कुछ और
भारत में जहां तक बात है तो रिजर्व बैंक ने अभी इसे रेड लिस्ट में डाला है. लेकिन इसके इस्तेमाल पर रोक नहीं है. रिजर्व बैंक ने रोक लगाई थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उसे निरस्त कर दिया. कई देश हैं जो बिटकॉइन की वकालत कर रहे हैं. इनमें एक ब्रिटेन भी है. ब्रिटेन हालांकि बिटकॉइन पर विचार नहीं कर रहा है, लेकिन वहां के ट्रेजरी चीफ ऋषि सुनक का मानना है कि बिटकॉइन की तरह ही कोई क्रिप्टोकरंसी उतारी जा सकती है. यह पूरी तरह से सेंट्रल बैंक डिजिटल करंसी होगी.
ब्रिटेन लाएगा अपना बिटकॉइन
यह फैसला ऐसे समय में लेने की बात हो रही है जब कैश पेमेंट का चलन घट रहा है. लोग कोरोना महामारी में कैश लेनदेन से बच रहे हैं. ऐसे में डिजिटल करंसी का इस्तेमाल बढ़ सकता है. ब्रिटेन में अगर यह करंसी शुरू होती है तो यह नए तरह की डिजिटल मनी होगी जिसे घर के खर्च, बिजनेस आदि में इस्तेमाल कर सकेंगे. यह कैश को रिप्लेस नहीं करेगी लेकिन कैश और बैंक डिपॉजिट का एक विकल्प जरूर हो सकती है. क्रिप्टोकरंसी अभी डिजिटल या इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में उपलब्ध है. कुछ देशों में इसका प्रचलन बढ़ गया है जबकि तुर्की जैसे देश सख्त खिलाफ में हैं. तुर्की ने बिटकॉइन या क्रिप्टोकरंसी को टेरर फंडिंग की लिस्ट में डाल दिया है.
कई देशों में क्रिप्टो का चलन तेज
कई देश ऐसे हैं जिन्होंने बिटकॉइन की सफलता को देखते हुए डिजिटल करंसी पर विचार करना शुरू कर दिया है. बिटकॉइन की खासियत है कि यह किसी सेंट्रल बैंक से नहीं जुड़ा है. यानी कि इसे चलाने के लिए बैंकिंग सिस्टम की जरूरत नहीं पड़ती. यह पूरी तरह से इलेक्ट्रॉनिक है और इसके सोर्स का भी पता नहीं चलता. सिर्फ डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिये इसका ट्रांजेक्शन होता है. हालांकि ब्रिटेन में जो क्रिप्टोकरंसी आएगी, वह पूरी तरह से सेंट्रल बैंक के हवाले होगी. दुनिया के कई देश हैं जहां इसका प्रचलन बढ़ गया है. बाहामास ने अपनी क्रिप्टोकरंसी शुरू की है. चीन कई शहरों में इसका प्रयोग कर रहा है. स्वीडन ने कहा है कि 2016 तक उसकी अपनी डिजिटल करंसी होगी. यूरोपियन सेंट्रल बैंक का कहना है कि अगले चार साल में इलेक्ट्रॉनिक यूरो शुरू कर दिया जाएगा.
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