सरकारी स्‍कूलों के बच्‍चों को लैपटॉप व टैबलेट देने की तैयारी, बिहार में पहली से बारहवीं तक मिल सकेगा लाभ

पटना, राज्य ब्यूरो। कोरोना महामारी के चलते बेपटरी हो चुकी प्रदेश के सरकारी विद्यालयों की शिक्षा व्यवस्था के लिए यह अच्छी खबर है। यदि बिहार सरकार की मेहनत रंग लाई तो बच्चे डिजिटल डिवाइस यानी लैपटॉप व टैबलेट से ऑनलाइन पढ़ाई करेंगे। इसके लिए राज्य सरकार ने पहली से 12वीं कक्षा के विद्यार्थियों की ऑनलाइन पढ़ाई के लिए डिजिटल डिवाइस मुहैया कराने की मांग केंद्र सरकार से की है। साथ ही, बिहार ने डिजिटल डिवाइस का प्रविधान समग्र शिक्षा अभियान में करने का अनुरोध किया है। महत्वपूर्ण यह कि केंद्र सरकार ने डिजिटल डिवाइस बिहार सरकार को उपलब्ध कराने का भरोसा भी दिया है। शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय कुमार ने यह जानकारी दी।

सरकारी और निजी स्‍कूलों के बच्‍चों के बीच अंतर कम करने की पहल
इससे पहले सोमवार को केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक की अध्यक्षता में वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से हुई महत्वपूर्ण बैठक में अपर मुख्य सचिव ने बिहार की मौजूदा शिक्षा व्यवस्था के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि केंद्र से डिजिटल डिवाइस उपलब्ध होने से बच्चों में बढ़ता हुआ डिजिटल डिवाइड कम हो सकेगा, क्योंकि सरकारी विद्यालयों में अध्ययरत बच्चों को इसकी कमी खलती है। उन्होंने बताया कि चालू वित्तीय वर्ष में होने वाली प्रोजेक्ट एप्रूवल बोर्ड की बैठक में राज्य सरकार की ओर से डिजिटल डिवाइस का प्रस्ताव रखा जाएगा। बैठक में शैक्षणिक प्रबंधन, डिजिटल शिक्षा तथा नई शिक्षा नीति पर भी चर्चा हुई।
चालू सत्र में 36 लाख बच्चों का नामांकन
अपर मुख्य सचिव संजय कुमार ने बताया कि केंद्रीय शिक्षा मंत्री के समक्ष चालू सत्र में मार्च में बड़े पैमाने पर चलाए गए नामांकन अभियान के बारे में जानकारी दी गई। पहली, छठी तथा नौवीं कक्षा के अतिरिक्त अन्य सभी कक्षाओं में लगभग 36 लाख बच्चों का नामांकन कराया गया था। गत शैक्षणिक सत्र में सुचारू रूप से विद्यालय नहीं चलने के कारण बच्चों में के लिए अप्रैल से तीन माह के कैच-अप कोर्स की संपूर्ण तैयारी पूर्ण कर ली गई है, लेकिन विद्यालय बंद होने के कारण इसे प्रारंभ नहीं किया जा सका है। फिलहाल कक्षाएं दूरदर्शन बिहार तथा ऑनलाईन एप-ई-लोट्स के माध्यम से जारी है, लेकिन बड़ी संख्या में बच्चे इसका लाभ नहीं उठा पा रहे हैं एवं इसका मुख्य कारण सरकारी स्कूलों के बच्चों के पास डेडिकेटेड इलेक्ट्रानिक डिवाइस का नहीं होना है।

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