कहीं कोई आपके नाम पर फर्जी बैंक अकाउंट तो नहीं चल रहा.ऐसे करें पता.वरना बाद में भुगतना पड़ेगा बड़ा खामियाजा

डिजिटल और ऑनलाइन की दुनिया में सबकुछ संभव है. यहां तक कि फेक बैंक अकाउंट भी. यहां फेक का मतलब फर्जी से है. यानी कि आपकी बैंक डिटेल पर कोई और खाता चल रहा है और आपको पता भी नहीं. यह सबकुछ ऑनलाइन दुनिया की करामात है. ऐसी एक घटना पंजाब नेशनल बैंक (PNB) के कस्टमर के साथ हुई है. इनका नाम सुमित गर्ग है जिन्होंने पीएनबी के टि्वटर हैंडल पर अपनी आपबीती सुनाई है.

सुमित ने एक ट्वीट में लिखा है, एक अकाउंट उनकी बहन के नाम से नोएडा में चालू है जबकि उनकी बहन कभी नोएडा गई नहीं. उसका पहले से अकाउंट है लेकिन वह अपडेट नहीं हो रहा है. नोएडा में चलने वाला फेक अकाउंट बंद भी नहीं हो रहा है. सुमित ने फेक अकाउंट की जो डिटेल दी है वह नोएडा सेक्टर 51 में चल रहा है. पता होशियारपुर मेन रोड, सेक्टर 51, नोएडा का दिया गया है. ताज्जुब की बात है कि इस पर एक फोन नंबर भी जो नोएडा के फोन कोड के साथ \है. यह नंबर है 120-2485369. फेक अकाउंट की डिटेल में ब्रांच कोड और आईएफएससी कोड भी दिया गया है. पीएनबी को भेजे शिकायत में सुमित ने कहा है कि फेक अकाउंट में दर्ज फोन नंबर पर बात नहीं हो रही है.
कहीं आपके नाम पर नहीं चल रहा फर्जी बैंक अकाउंट ऐसे करें पता
स्टेप-1 यहां पर आपको My Aadhaar पर ना होगा और Aadhaar Services पर ना होगा.
स्टेप-2 आपको Check Aadhaar/Bank Linking Status पर ना होगा. आप जैसे ही इसपर गे तो आपके सामने एक नया पेज खुलकर आएगा.
स्टेप-3 इसके बाद नए पेज पर आपको 12 डिजीट के आधार नंबर या फिर वर्चुअल आईडी को भरना होगा. इसके साथ ही आपको कैप्चा कोड भी भरना होगा.
स्टेप-4 Send OTP विकल्प पर ना होगा. आपको ओटीपी तभी प्राप्त होगा अगर आपने अपना नंबर आधार पर रजिस्ट्रर करवाया हो.
स्टेप-5 OTP मिलने के बाद आपको इसे भरना होगा और आपके सामने आपके Aadhaar में कितने और कौन-कौन से बैंक के खाते लिंक हैं इसकी जानकारी दिखेगी.
फेक अकाउंट बनाते हैं हैकर
सुमित की तरह आजकल ऐसी घटनाएं आम बात हैं. जैसे-जैसे ऑनलाइन बैंकिंग की दुनिया में तेजी आ रही है, हैकिंग और फ्रॉड की समस्या भी बढ़ रही है. एक्सपर्ट की मानें तो फेक अकाउंट तभी बनेगा जब किसी रियल अकाउंट होल्डर की डिटेल चोरी होगी. यह डिटेल ज्यादा संभावना है कि ईमेल के जरिये चोरी होती हो. खासकर ऐसे ईमेल जो लंबे दिनों से इस्तेमाल में न हो. फेक अकाउंट ठीक वैसा ही होता है जैसा रियल होता है.
कैसे चोरी करते हैं पर्सनल डेटा
कोई भी हैकर किसी की पर्सनल जानकारी चुराकर आसानी से फेक अकाउंट बना सकता है. इसके लिए नाम, पता, आईडी की जरूरत पड़ती है. हैकर्स हमेशा थर्ड पार्टी को निशाना बनाने की सोचते हैं. जैसे मान लीजिए किसी ने पेमेंट ऐप के जरिये ट्रांजेक्शन किया तो इसमें हैकिंग की संभावना ज्यादा होगी. थर्ड पार्टी पेमेंट ऐप के पास बैंक और उसके अकाउंट होल्डर दोनों की जानकारी होती है. हैकर्स और भी कई तरीके अपनाते हैं.
@pnbindia @noidapolice @coprajaneesh @myogiadityanath @myogioffice @CMOfficeUP ये कैसे हुआ कोई जवाब नही दे रहा, ये एकाउंट मेरी बहन के नाम से चालू है, जबकि हम कभी नोएडा गए ही नही।अब न तो वो अपना एकाउंट अपडेट करवा पा रही, न ही ये फेक एकाउंट बन्द हो रहा कृपया करके इसमें मदद करे। pic.twitter.com/G2fmye8Xi5
— sumit garg (@SGsumitg) May 24, 2021
function catchException() {try{ twitterJSDidLoad(); }catch(e){}}
क्यूआर कोड से भी फर्जीवाड़ा
क्यूआर कोड स्कैनर, फिशिंग ईमेल से भी पर्सनल जानकारी चुराई जाती है. फर्जी कस्टमर केयर के नाम पर फोन किया जाता है और केवाईसी कराने के लिए कहा जाता है. इसके लिए कस्मटर से बैंक खाते की जानकारी, आधार नंबर, पासवर्ड आदि मांगी जाती है. क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड का पिन, सीवीवी नंबर या कस्टमर आईडी चुरा ली जाती है. इससे बचने के लिए बैंकों की तरफ से हमेशा कहा जा रहा है कि किसी भी कस्टमर से उसकी आईडी, डेबिट या क्रेडिट कार्ड का पिन या सीवीवी नंबर नहीं मांगा जाता. अगर कोई मांगता है तो जानकारी न दें और इसकी तुरंत शिकायत करें.
फोन का नोटिफिकेशन भी खतरनाक
फोन पर आने वाले नोटिफिकेशन से भी पर्सनल जानकारी चोरी होने का खतरा होता है. अगर इसे सुरक्षित तरीके से एक्सेस न करें तो यह जी का जंजाल बन सकता है. मोबाइल में नोटिफिकेशन एक्सेस यूजर को यह अधिकार देता है कि वह थर्ड पार्टी ऐप को अनुमति दे. इस अनुमति में सिस्टम या ऐप की ओर से भेजे गए नोटिफिकेशन को पढ़ने का अधिकार भी दिया जाता है.
नोटिफिकेशन में चैट मैसेज, टेक्स्ट मैसेज भी हो सकते हैं जो कस्टमर के लिए गोपनीय सूचना हो सकती है. मैसेज में ओटीपी और पासकोड भी शामिल होते हैं. यहां से थर्ड पार्टी की जानकारी चोरी होने का खतरा होता है. बचने का यही तरीका है कि किसी अननोन ऐप को कभी भी नोटिफिकेशन एक्सेस की अनुमति नहीं देनी चाहिए. ऐप डाउनलोड करें तो इसका ध्यान रखें कि वह किसी जेनुइन सोर्स जैसे कि प्ले स्टोर से हो. बिना जाने समझे कोई ऐप डाउनलोड न करें.
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