लॉकडाउन में मजदूरों को नहीं मिल रहा काम

संवाद सूत्र, त्रिवेणीगंज (सुपौल): खेग्राम्स व मनरेगा मजदूर सभा ने राज्यव्यापी मांग दिवस के अवसर पर कोरोना गाइडलाइन को पालन करते हुए सरकार से अपनी मांग रखी। अपने निजी आवास पर कार्यक्रम के दौरान भाकपा माले के जिला सचिव जयनारायण यादव ने कहा कि सरकार ने कोरोना काल में बिहार वापस आये मजदूरों को सरकार ने मनरेगा के तहत रोजगार देने का वादा किया था, लेकिन यह वादा भी अन्य वादे की तरह जुमला ही निकला। महीने पूर्व माले के द्वारा दिए गए आवेदन की सुनवाई अबतक नहीं हो पाई है। पिछले लॉकडाउन के समय से मजदूरों को अबतक रोजगार नहीं मिला है। जिसके कारण भुखमरी की स्थिति आ गई है। हम सरकार से मांग करते हैं कि जल्द से जल्द मजदूरों को मनरेगा में समायोजित किया जाए और काम न मिलने की स्थिति में बेरोजगारी भत्ता दिया जाए।


आइसा के कोशी प्रभारी डॉ अमित ने कहा कि 500 रुपये मजदूरी और 200 दिन काम माले की पुरानी मांग है। कोरोना काल में देखा गया कि जब पूरे विश्व की आर्थिक स्थिति चरमराई हुई थी ऐसे में ग्रामीण अर्थव्यवस्था ने ही देश को मजबूती प्रदान की और मनरेगा देश के अंदर में ग्रामीण भारत के अर्थव्यवस्था की मजबूत रीढ़ बन चुका है। ऐसे में मनरेगा में हो रही तमाम विसंगतियों का असर प्रवासी मजदूरों पर पड़ा है। सरकार से मांग करते रहे कि सभी मजदूरों के परिवार को 10000 रुपये के रूप में कोरोना भत्ता दिया जाए और इस समय 5 किलो अनाज की जगह 35 किलो का आवंटन दिया जाए। कार्यक्रम में शत्रुघ्न यादव, सिकन्दर यादव, मनोज यादव, प्रमोद कुमार, रोशन कुमार राणा, संतोष सियोटा, मु जमीर आदि मौजूद थे।
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