खड़गपुर के आधे दर्जन आदिवासी गांवों तक नहीं पहुंच पाया कोरोना

मुंगेर । कोरोना की दूसरी लहर ने शहरी क्षेत्र के बाद ग्रामीण इलाके में भी तबाही मचानी शुरू कर दी है। ग्रामीण क्षेत्र में कोरोना संक्रमण का खौफ लोगों के सर चढ़ कर बोल रहा है। वहीं, हवेली खड़गपुर प्रखंड के आधे दर्जन आदिवासी गांवों में अबतक कोरोना दस्तक भी नहीं दे सका है। जिसका मुख्य कारण गांव के लोगों की सजगता है । यहां के लोग कोरोना गाइडलाइन की अनदेखी नहीं करते हैं।

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प्रखंड के इन गांवों में एक भी संक्रमित नहीं
हवेली खड़गपुर प्रखंड मुख्यालय से लगभग तीन किलोमीटर की दूरी पर पहाड़ और जंगल की दहलीज पर अवस्थित रमनकाबाद पश्चिमी पंचायत के गोरधोवा, छोटकी हथिया, बड़की हथिया, रारोडीह, जटातरी, बघेल, भविकुरा आदि गांवों में एक भी व्यक्ति कोरोना संक्रमित नहीं हुए हैं ।

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ग्रामीणों की जागरुकता का दिखा सकारात्मक असर प्रखंड क्षेत्र का कोई गांव कोरोना जैसी बीमारी से अछूता नहीं रह गया है। कुछ ऐसे भी गांव हैं, जहां ढाई दर्जन लोग भी संक्रमित है । लेकिन गोरधोवा, छोटकी हथिया, बड़की हथिया, रारोडीह, जटातरी, बघेल, भविकुरा आदि गांवों के ग्रामीणों की जागरुकता का परिणाम है कि इस गांवों से कोरोना महामारी कोसों दूर है ।
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कहते हैं ग्रामीण -
गोरधोवा गांव निवासी दिनेश हेम्ब्रम, जट्टूलाल मरांडी, छोटकी हथिया बाबूलाल सोरेन, बघेल गांव निवासी राजकुमार हेम्ब्रम आदि ने अपने गांवों में कोरोना बीमारी के प्रवेश नहीं होने पर खुशी जताते हुए कहा कि सबसे बड़ा कारण ग्रामीणों की सजगता है। हमलोगों के गांवों में शारीरिक दूरी का पालन करना, वेवजह घर से नहीं निकलना लोगों की दिनचर्या बन गई है। ऐसे भी घर भी दूरी दूरी पर बना होता है। गांव के लोग जरूरतमंद सामग्री खरीदने के लिए शहर का रुख करते हैं और सामग्री की खरीददारी कर बिना देर किए वापस घर लौटते हैं । गांव लौटने के बाद साबुन से हाथ पैर की सफाई अच्छी तरह से करते हैं । गांव के लोग मन बहलाने के लिए गांव से थोड़ी दूर पर स्थित जंगल व पहाड़ की ओर कूच कर शुद्ध वातावरण का आनंद लेते हैं । वैसे तो हमारे गांव का वातावरण भी काफी शुद्ध है । अनजान लोगों के प्रवेश पर सख्त रोक है । अन्य प्रदेशों में मजदूरी का कार्य कर रहे लोगों के घर वापसी पर कम से कम 14 दिनों का होम क्वरंटाइन कराया जाता है । स्वस्थ्य दिखने पर बिना चिकित्सक की सलाह के और अस्वस्थ दिखने पर सबसे पहले स्वास्थ्य केंद्र ले जाकर उनकी जांच करवाई जाती है और फिर उन्हें होम क्वरंटाइन कराया जाता है ।
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कोट -
आदिवासी गांव का वातावरण शुद्ध रहता है । जिसके कारण यहां के लोगों में इम्यूनिटी की क्षमता अधिक रहती है, जो कोरोना को मात देने में रामबाण होते हैं । वैसे यहां के लोग काफी जागरूक है और कोरोना गाइडलाइन का भी पालन कर रहे हैं।
डॉ. अखिलेश कुमार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हवेली खड़गपुर मुंगेर
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