श्मशान में मोक्ष की खातिर अपनों का इंतजार कर रहीं अस्थियों को मिलने लगा साथ

दरभंगा। 'निश्चल काल गरासही, बहुत कहा समुझाय। कहे कबीर मैं का कहूं, देखत ना पतियाय।'

कबीर ने कहा था- मृत्यु एक दिन सबको अपना ग्रास बनाएगी। मैंने बहुत समझाया। लेकिन, मैं क्या करूं लोग आंख से देखकर भी नहीं विश्वास कर रहे। सालों पहले कबीर की यह भविष्यवाणी जब से कोरोना की दूसरी लहर आई है तब से दरभंगा के मुक्तिधाम में करीब-करीब हर दिन दोहराई जाती रही। देह का त्याग कर चुकी आत्मा को मोक्ष दिलाने की पुरानी परंपरा ध्वस्त होती नजर आई। वजह कोरोना का खौफ ऐसा कि 2 अप्रैल 2020 से लेकर अब तक मुक्तिधाम में ऐसे 119 लोगों की अंत्येष्टि हुई, जिनकी अस्थियां वक्त पर समेट पाना स्वजनों के लिए मुमकिन नहीं हो सका।

लेकिन, पीड़ित मानवता की सेवा का बीड़ा उठानेवाली शहर की संस्था कबीर सेवा संस्थान ने उन सभी अस्थियों को न सिर्फ संभाला बल्कि अस्थि कलश बनाकर उसमें अस्थियों को संजोने के बाद संबंधित व्यक्ति के नाम व पता का स्टीकर भी चस्पा कर अस्थि कलश को सुरक्षित किया। अब जबकि कोरोना की लहर थोड़ी कुंद पड़ने लगी है तो लोग अपने स्वजनों की अस्थियां लेकर जा रहे हैं। पवित्र नदियों में अस्थियों को विसर्जित कर अपने स्वजनों के मोक्ष की कामना कर रहे हैं।
कबीर सेवा संस्थान के संरक्षक नवीन सिन्हा बताते हैं- कोरोना का दूसरा काल बेहद क्रूर रहा। 2 अप्रैल 2020 से अबतक करीब 119 लोगों की अंत्येष्टि यहां की गई। शुरू के दिनों में तो खौफ का आलम यह रहा कि करीब चार दर्जन लोग अपने स्वजनों का शव छोड़कर चले गए। लेकिन, करीब सेवा संस्थान ने शवों की विधिवत अंत्येष्टि की। कुल मिलाकर साठ फीसद कोरोना संक्रमण से मरे लोगों के स्वजन ही अंत्येष्टि में शामिल रहे। संस्थान ने कुल 119 लोगों की अस्थियों को सुरक्षित रखा था। उनमें से करीब 91 लोग अपने स्वजनों की अस्थियां ले गए। अब लोग जागरूक हुए हैं। अंत्येष्टि भी कर रहे हैं। अस्थियां भी ले जा रहे हैं।
शॉर्ट मे जानें सभी बड़ी खबरें और पायें ई-पेपर,ऑडियो न्यूज़,और अन्य सर्विस, डाउनलोड जागरण ऐप

अन्य समाचार