खराब खाद्यान्न के वितरण पर उपभोक्ताओं में नाराजगी, जांच की मांग

संसू, कुआड़ी ( अररिया): भारत नेपाल अंतरराष्ट्रीय सीमा पर अवस्थित कुर्साकांटा प्रखंड में कोरोना महामारी के बीच उचित मूल्य के दुकानदारों के पास सरकारी गोदाम से आए चावल की बोरी से निकले खराब चावल छोटे-छोटे पत्थर का मिश्रण व गर्दा युक्त चावल देखकर उपभोक्ताओं में नाराजगी व आक्रोश है। क्षेत्र के लोगों का कहना है कि गेहूं की बोरी से निकल रहे गेहूं तो ठीक हैं पर चावल तो बिल्कुल ही खाने लायक नहीं है। उचित मूल्य के दुकानदारों का इसमें क्या दोष। इन खाद्यान्नों को सरकारी गोदाम के इंचार्ज को देखना चाहिए कि मेरे गोदाम में आ रहे चावल व गेहूं ठीक है या नहीं। इस कोरोना महामारी में राज्य सरकार द्वारा उपभोक्ताओं के लिए माह मई का राशन मुफ्त दिया जा रहा है तो वहीं केंद्र व राज्य सरकार के द्वारा पांच-पांच किलो मुफ्त अनाज देने की घोषणा से लोगों में खुशी देखी जा रही है। तो दूसरी तरफ चावल में छोटे छोटे पत्थर व गर्दा युक्त चावल के वितरण को ले उपभोक्ताओं में नाराजगी व आक्रोश का माहौल देखा जा रहा है। उपभोक्ताओं का कहना है कि एफसीआई के गोदाम में इस तरह के गंदे पत्थर युक्त चावल के बोरे कैसे और कहां से आएं क्या गोदाम इंचार्ज को इस गंदे व पत्थर युक्त चावल की बोरियों पर नजर नहीं परा। जिसे हम जैसे गरीब असहाय उपभोक्ताओं के लिए उचित मूल्य के दुकानदारों को दे दिया गया। यह एक विचारणीय प्रश्न है। लोगों की नाराजगी लाजमी है। सरकारी गोदाम से गंदे व पत्थर युक्त चावल को उचित मूल्य दुकानदार से उपभोक्ताओं के बीच किए जा रहे वितरण को लेकर कुर्साकांटा प्रखंड के एम ओ श्याम सुंदर ने बताया कि इस तरह की बात है तो डीलर को भी चाहिए कि उस गंदे चावल की बोरी को नहीं लेना।यह बात सभी डीलर को पूर्व में कहा जा चुका है। वे इस शिकायत की जांच करेंगे।


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