सेटेलाइट ब्रॉडबैंड के जरिए देश में होगी सबसे बड़ी इंटरनेट क्रांति? क्या है ये.कैसे होगा आम आदमी के लिए फायदेमंद

भारत ने संचार जगत में काफी क्रांति की है. जहां तक कुछ साल पहले भारत में इंटरनेट चलाना एक बड़ा काम था, अब हर व्यक्ति अपने हाथ में फोन में इंटरनेट एक्सेस कर रहा है. इंटरनेट की स्पीड में काफी तेजी हुई है और अब यह अनुभव और भी शानदार होने वाला है. दरअसल, अब सरकार की ओर इंटरनेट क्रांति पर काम किया जा रहा है, जिसके बाद सुदूर इलाकों में भी लोग इंटरनेट चला सकेंगे और वो तेज स्पीड में.

दरअसल, भारत सरकार की टेक्निकल विंग टेलीकॉम इंजीनियरिंग सेंटर ने सैटेलाइट फर्मों के लिए स्पेक्ट्रम बैंड, एंटीना साइज और स्पीड के इस्तेमाल के लिए अपने नियमों में बदलाव कर दिया है. इन नियमों में बदलाव होने से भारत को जल्द ही इंटरनेट क्रांति लाने में मदद मिलेगी. इससे सैटेलाइट टेक्नोलॉजी में इजाफा होगा, जिसका फायदा इंटरनेट यूजर्स को मिलेगा. ऐसे में जानते हैं ये सैटेलाइन ब्रॉडबैंड क्या है और सरकार की ओर से हुए नियमों में बदलाव से क्या असर होने वाला है…
क्या होता है सैटेलाइट ब्रॉडबैंड?
यह एक तरीके से इंटरनेट चलाने का तरीका होता है. इस खास तरीके में इंटरनेट चलाने के लिए सीधे सैटेलाइट से डेटा मिलता है, जो धरती पर लगे स्मॉल सैटेलाइट डिश को मिलता है और उससे इंटरनेट चलाने में मदद मिलती है.
इससे उन लोगों को मदद मिलेगी, जो नॉर्मल ब्रॉडबैंड सर्विस से इंटरनेट नहीं चला पाते हैं, ऐसे में वो सीधे सैटेलाइट से मिलने वाले ट्रांसमिट से इंटरनेट चला सकेंगे.
अभी तक लोग वायर कनेक्शन, एडीएसएल, कैबल या फाइबर के जरिए इंटरनेट चलाते हैं, लेकिन इससे सैटेलाइट के जरिए सीधे इंटरनेट चला सकेंगे.
इससे बिना किसी फोन लाइन के इंटरनेट चला सकते हैं. सीधे शब्दों में कहें तो इससे इंटरनेट का दायरा बढ़ जाएगा और लोग दूर-सुदूर इलाकों में भी इंटरनेट चला सकते हैं.
नए नियमों में क्या हुआ बदलाव?
टीईसी की ओर से कई नियमों में बदलाव किया गया है. इन नियमों के जरिए स्मॉल एंटीना सिस्टम, सैटेलाइट ब्रॉडबैंड, हाई कैपिसिटी ब्रॉडकास्टिंग को बढ़ावा मिलेगा.
साथ ही ये देश में ब्रॉडबैंड पहुंचाने के लिए सैटेलाइन टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल में तेजी लाने में मदद करेंगे. नए नियमों के अनुसार, सैटेलाइट फर्म्स को स्मॉल एंटीना स्थापित करने की अनुमति मिल जाएगी, जिससे वो देश में सैटेलाइट ब्रॉडबैंड की तरह कदम बढ़ा सकेंगे.
भारत में क्या होगा असर?
भारत में सैटेलाइट ब्रॉडबैंड को स्थापित करने में मदद मिलेगी और इससे इंटरनेट को लेकर एक क्रांति देखने को मिलेगी. साथ ही इन नियमों के बाद से कम्यूनिकेशन और ब्रॉडकास्ट नेटवर्क और कंपनियां C और Ku बैंड्स के स्थान पर ka बैंड्स में स्पेक्ट्रम का इस्तेमाल कर सकेंगे.
रिपोर्ट्स के अनुसार, इससे पहले कंपनियां 2-4 MBPS तक की स्पीड दे पाती थी, लेकिन अब ये शर्त हटा दी है. इसके बाद 5 MBP स्पीड में इंटरनेट मिल सकेगा.
साथ ही कुछ कंपनियों को डीटीएच के लिए इस्तेमाल होने वाले सैटेलाइट का इस्तेमाल करने की भी इजाजत मिल गई है.
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