ऑनलाइन पढ़ाई की राह नहीं है आसान

जमुई। कोरोना महामारी को लेकर स्कूल-कॉलेज बंद हैं। इसने सबसे ज्यादा नुकसान जिन क्षेत्रों को किया है उनमें शिक्षा सबसे आगे है। कोरोना वायरस ने शिक्षा के क्षेत्र में जिन समस्याओं को जन्म दिया है उसका हल तुरंत ढूंढ पाना संभव नहीं दिख रहा है।

दरअसल, शैक्षणिक संस्थानों के बंद रहने के कारण सरकार की पहल पर ऑनलाइन कक्षाएं तो शुरू की गई है, लेकिन प्रखंड में 20 से 30 फीसद बच्चे ही इसका लाभ ले पा रहे हैं। आंकड़ों को देखा जाए तो प्रखंड के नामांकित तकरीबन 60 हजार बच्चों में ग्रामीण इलाकों से जुड़े 70 फीसदी बच्चे के पास लैपटॉप, टैबलेट तो दूर, स्मार्टफोन तक नहीं है। प्रखंड में अभी ऐसे दर्जनों सुदूरवर्ती गांव हैं, जहां बिजली और नेटवर्क की समस्या है। ऐसे में ऑनलाइन पढ़ाई की बात बेमानी है। वर्तमान संकट के दौर में खराब इंटरनेट, बिजली की कमी और स्मार्टफोन या लैपटॉप का न होना बच्चों को पढ़ाई से दूर कर रहा है। सरकार ने मेरा दूरदर्शन-मेरा विद्यालय अभियान की शुरुआत की, लेकिन विद्यार्थी इसमें भी दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकांश ऐसे परिवार हैं जिनकी आमदनी कम है या लॉकडाउन में रुक गई है। किसी तरह मजदूरी कर परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं। ऐसे में बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई के लिए स्मार्टफोन की व्यवस्था करना उनके लिए परेशानी भरा है। स्मार्टफोन के बाद उनके सामने डेटा की भी समस्या होती है। कोरोना काल में शिक्षा का अधिकार सिर्फ स्मार्टफोन या लैपटॉप रखने वाले बच्चों तक ही सिमटकर रह गया है। जिनके पास डिजिटल डिवाइस नहीं है वे इस अधिकार से वंचित हो रहे हैं।

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