पीएमईजीपी के लिए 278 आवेदन बैंकों में हैं लंबित

पूर्णिया। सरकार बेरोजगारों को अपने पैरों पर खड़ा करने के लिए कई योजनाएं चला रही है। स्वरोजगार के लिए सरकार उन्हें सब्सिडी के साथ लोन देती है। उन रोजगारोन्मुखी योजनाओं में प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम प्रमुख है। उन योजना के लिए जिला उद्योग केंद्र योग्य आवेदकों का चयन कर उन्हें लोन के लिए बैंकों के पास भेजती है लेकिन बैंक उन्हें तबज्जो नहीं दे रहा है। गत वित्तीय वर्ष 20-21 बेरोजगार युवाओं के 134 आवेदन विभिन्न बैंकों में धूल फांक रहे हैं। जबकि चालू वित्तीय वर्ष में भी 144 आवेदन बैंकों में लंबित हैं। ऐसे आवेदक बैंकों की चौखट पर जाकर अपने जूते घिस चुके हैं लेकिन उनकी कोई नहीं सुन रहा। उन बेरोजगारों के सपने बैंकों में दम तोड़ने लगे हैं।


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नकारात्मक है बैंकों का रवैया
बेरोजगारी उन्मूलन के लिए केंद्र सरकार द्वारा चलाई गई महत्वाकांक्षी योजना पीएमईजीपी में लाभुकों को ऋण देने में बैंकों का रवैया टाल मटोल वाला है। जिला उद्योग केंद्र के महाप्रबंधक संजय वर्मा कहते हैं कि पीएमईजीपी के तहत अनपढ़ से लेकर पढे़-लिखे युवा भी बैंकों से ऋण लेकर स्वरोजगार कर सकते हैं। लेकिन जिले में बैंक प्रबंधन का रवैया इसके प्रति नकारात्मक है। बैंकों की उदासीनता के कारण हर साल दर्जनों योग्य युवा अपना रोजगार खड़ा नहीं कर पाते हैं।
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पीएमईजीपी के तहत 25 लाख तक मिलता है लोन
पीएमईजीपी योजना का उद्देश्य सूक्ष्म, लघु ओर मध्यम उद्यम क्षेत्र का विकास किया जाना है। इसके तहत युवा ऋण लेकर अपना रोजगार खड़ा कर सकते हैं। इसके तहत विनिर्माण क्षेत्र के लिए 25 लाख और सेवा क्षेत्र के लिए 15 लाख रुपये तक का ऋण देने का प्रावधान है। लेकिन बैंकों की टाल मटोल रवैये की वजह से इसका समुचित लाभ बेरोजगारों को नही मिल पा रहा है।
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मार्जिन मनी मिलने के बावजूद बैंक नहीं दे रहे ऋण
जिला उद्योग केंद्र द्वारा आवेदन स्वीकृत कर बैंकों को भेजने एवं टास्कफोर्स कमेटी द्वारा चयन के बाद भी आवेदकों को पीएमईजीपी योजना के अंतर्गत ऋण मुहैया कराने में आनाकानी की जा रही है। जिला उद्योग केंद्र महाप्रबंधक संजय कुमार वर्मा कहते हैं कि शहर का कोई ऐसा बैंक नहीं है, जो आवेदक के सही कागजात होने के बावजूद आसानी से ऋण दे सके। बताया कि जिला उद्योग केंद्र द्वारा भेजे गए दर्जनों आवेदन को बैंक अस्वीकृत कर वापस भेज देता है। उस पर अंडर प्रोसेस लिख कर आवेदक को अस्वीकृत कर दिया जाता है। बैंकों की इस प्रक्रिया से आवेदन के अस्वीकृत होने का स्पष्ट कारण का पता भी नहीं चल पाता है। जिसके कारण आवेदक को समझ में यह नहीं आता है कि उनका आवेदन अस्वीकृत हुआ है या बैंक के प्रोसेस में है। वित्तीय वर्ष 20-21 में 134 आवेदन विभिन्न बैंकों में लंबित है जबकि उसकी सब्सिडी की राशि यानि मार्जिन मनी 364.76 लाख रुपये सरकार ने बैंक को दे दी है। यहीं हाल वित्तीय वर्ष 21-22 में भी है। 21-22 में बैंकों के पास 144 आवेदन लंबित हैं जबकि उनके पास 394.71 लाख मार्जिन मनी स्वीकृत कर दिया गया है। बैंकों की लापरवाही के कारण सैकड़ों बेरोजगारों के सपने बैंकों की चौखट पर दम तोड़ रहे हैं।
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