बढ रहा गंगा का जलस्तर, पशुपालकों की बढ़ने लगी परेशानी

मुंगेर। बीते कई दिनों से हो रही लगातार बारिश के बाद प्रखंड में गंगा के साथ-साथ इसकी सहायक नदियों में पानी लबालब भर गया है। किसान तथा पशुपालक नाव पर सवार होकर दियारा से अपने फसलों तथा अनाज को लाने के लिए सुबह सबेरे जा रहे हैं। दियारा में कई लोगों की मक्का तैयार रखा हुआ है। जिसको ढोने के लिए किसान लगातार परेशान हो रहे हैं। किसानों का कहना है कि नाविक ज्यादा भाड़ा की मांग कर रहे हैं। जिससे खर्च बढ़ गया है। वही खेतों में पशुओं के लिए लगाए गए चारे के डूब जाने के कारण पशुपालकों को हरे चारे की किल्लत हो रही है। ग्रामीण नाव पर सवार होकर घास लाने के लिए दियारा जाने को विवश हैं। पशुपालकों तथा किसानों का कहना है कि जुलाई माह में ही गंगा नदी के लबालब भर जाने से लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। निचले इलाके में लगे परवल तथा अन्य सब्जियों की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई है। ऊंचे स्थानों पर ही किसानों के सब्जियों की फसल बचे हुए हैं।


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विकराल हो रही गंगा
गंगा नदी धीरे-धीरे विकराल रूप ले रही है। इसके कारण निचले इलाके में रहने वाले लोगों को जल्द ही बाढ़ से घर के डूबने की चिता सताने लगी है। लोग अभी से ही ऊंचे स्थानों पर शरण लेने के लिए पॉलीथिन एवं फूस के छप्पर डालकर अपना स्थान सुरक्षित कर रहे हैं। जिससे कि बाढ़ आने पर उन लोगों को परेशानी का सामना नहीं करना पड़े। बताते चलें कि प्रखंड के कई गांव पूरी तरह से निचले इलाके में बसे हुए हैं। जहां भारी बारिश होने पर घर में पानी प्रवेश कर जाता है। बाढ़ आने पर छप्पर के ऊपर से पानी बहता है। ऐसी स्थिति में लोग रेलवे लाइन तथा सड़क किनारे रहने को बाध्य होते हैं। ऐसे लोगों का कहना है कि हर साल हम लोगों को बाढ़ की समस्या का सामना करना पड़ता है। लेकिन गरीब रहने के कारण वे लोग अपने घरों के समीप मिट्टी भरकर ऊंचा नहीं कर पाते हैं। जिसके कारण बाढ़ की विभीषिका हर साल उन लोगों के लिए काल बनकर आती है। अनाज एवं अन्य वस्तु रहने पर भी विस्थापित जीवन व्यतीत करना पड़ता है।
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बोले ग्रामीण
ग्रामीण रामजी मालाकार, संजय मंडल, कारे मंडल, दिवाकर कुमार का कहना है कि हर साल वे लोग बाढ़ से प्रभावित होते हैं। लेकिन प्रशासन उन लोगों को बाढ़ से बचाव के लिए स्थाई निदान नहीं निकाल पा रही है। जिसके कारण उन लोगों को हर वर्ष इसका सामना करना पड़ता है। अगर प्रशासन उन लोगों को ऊंचे स्थान पर बसाने का प्रयास करें तो इस समस्या से हमेशा के लिए छुटकारा मिल सकता है।वही गंगा नदी में लबालब जल के बढ़ जाने के कारण किसानों को दियारा से फसल लाने में परेशानी का सामना करना पड़ता है ।किसानों का कहना है कि जेठ माह में गंगा नदी का पानी चारों तरफ फैल गया। जिसके कारण खेतों की जुताई नहीं कर पाए है। जिससे कि मिट्टी में धूप लग सके। कीड़े मर सके।लेकिन ऐसा नहीं होने पर हो सकता है कि अगले साल फसल होने पर उन लोगों की ऊपज कम हो जाए। किसान गुरुदेव मंडल, विष्णुदेव मंडल, गौतम शर्मा आदि का कहना है कि अगर अभी भी गंगा नदी का जल नीचे चला जाए। धूप निकलने पर जमीन के सुख जाने पर वे लोग अपने खेतों में कलटी कर सकते हैं। जिससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ सके।
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