भोजपुरी में पढ़ें - चमत्कार देखावे संत ना रहने देवरहा बाबा,बाकिर तमाम बड़ लोग भक्त रहे

आजु के टाइम में संत के अर्थ हो गइल बा चमत्कार देखावे वाला. पता ना लोगन के बुद्धि अइसन हो गइल बा कि बाबा लोग, स्वामी लोग अइसन क देले बा. जे भी बाबा मशहूर होत हवें, उनका पीछे चमत्कार के कहानी बा. बाकिर देवरहा बाबा कबो भीड़ के सामवे अइसन कवनो चमत्कार ना कइले रहने. फिर भी उनकर लोकप्रियता अतना अधिक रहे कि इंदिरा गांधी भी राजनीतिक संकट के दौर में उनका दर्शन खातिर गइल रहली. भोजपुरिहा इलाका में उनके देवरहवा बाबा भी कहल जात रहल हा. बतावल जाला कि डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद जी, कमलापति त्रिपाठी, अटल बिहारी वाजपेयी से लेकर मुलायम सिंह यादव तक उनका दर्शन खातिर जात रहल हा लोग.ं : भोजपुरी जंक्‍शन में : जतरा के पतरा - चरणार्द्रि से हो गइल चुनार मचान प निवास देवरिया जिला के बरहज के लगे मइल में बाबा के आश्रम रहे. उहां बाबा एगो मचान प भक्त लोगन से मिलस. उनके नजदीकी लोगन के मुताबिक बाबा के अधिकतर समय ओही मचान पर गुजरत रहल हा. सर्दी होखे, चाहे गर्मी बाबा कवनो नागा साधू जइसे बिना वस्त्र के मचान पर रहत रहने. हां, भक्त लोगन के अइला प घुटना पर कवनो छाल वही तरह से डाल लेत रहने, जइसे लोग शाल रखेला. उनकर संप्रदाय के बारे में ना केहू चर्चा करे आ ना बाबा कवनो जमात में शामिल होखस. साधु लोगन के संप्रदाय पर चर्चा कइले पर बाबा के कहनाम रहल हा - 'जे ईश्वर के माने उहो हिंदू, जे न माने उहो हिंदू. अब संप्रदाय के बहस में का पड़ले के का जरूरत बा.' बाबा के स्वीकार्यता तकरीबन हर संप्रदाय में रहे आ हर संत बाबा के सम्मान करे. बाबा इलाहाबाद संगम के मेला में भी आवस लेकिन अलगे गंगा से लगल, करीब गंगा में ही, आपन मचान बनवाअस. कुछ समय उनकर मचान यमुना तट पर भी बनत रहलि हा, शायद बाबा गंगा आ जमुना जी दूनो से प्रेम करत रहने.हर परेशानी के निदान एकही मंत्र मइल आश्रम से लेकर इलाहाबाद संगम पर भक्त आ श्रद्धालु लोग आपन परेशानी बाबा के सुनाई. बाबा सबके एकही मंत्र, देत रहने. भक्त के परेशानी सुनि के कहिहें- "ऊं कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने प्रणत: क्लेश नाशाय, गोविन्दाय नमो-नम:" देवरहा बाबा कहस - 'जा जपिहअ. सब कष्ट दूर हो जाइ.' एक बार बाबा एकर जाप भी करावा देत रहने. श्रद्धालु लोगन के एही से लाभ होत होई, शायद तबे लोग दुबारा उनका इहां जात रहने. हमहूं 1982 में बचपन में अपना पिता जी के संगे उनके आश्रम में गइल रहनी. अइसन ना कि मइल के आश्रम में खाली मचान ही रहत रहे. उहां गौशाला भी रहे. जावे वाला बहुत से लोगन के बाबा गोशाला से दूध मंगा के दिआवत रहला हां. लेकिन केहू केतनो विशेष होखे अलग से कवनो चमत्कार या कवनो प्रकार के प्रसाद विशेष ना देत रहने. हां, मचान पर केला या अइसने कुछ फल या मेवा या फेर मिठाइ रही त ओहके लोगन में उपरे से दे देत रहने. बाद में इलाहाबाद में कई बार बाबा के मचान के आस पास जाए के मौका मिलल.इंदिरा गांधी के 'पंजा' निशान दिहने कहल जाला कि जब इमरजेंसी के बाद कांग्रेस के चुनाव निशान गाई-बाछा पर भी सवाल उठावे लागल ओही समय इंदिरा गांधी उनका इहां गइल रहली. ओह समय बाबा हाथ उठा के आशिर्वाद दिहने अउर उहे हाथ के पंजा कांग्रेस के चुनाव निशान बनल. तब से इंदिरा गांधी के संकट खत्म भइल. बाबा के लेकर भोजपुरी इलाका में बहुत ढेर कहानी चलन में रहल. केहू कहे कि बाबा एतना सौ साल के हवें, केहू कहे कि बाबा के नहात नित्यक्रिया करत केहू नइखे देखले. बाकिर बाबा किहा से ना त अइसन कवनो प्रचार होखे ना एह तरह के कवनो चर्चा. जुगानी भाई के नाम से मशहूर ऑल इंडिया रेडियो के जुड़ल रवींद्र श्रीवास्तव याद करेनी कि वो समय के एकगो पुलिस अधिकारी जे इंदिरा गांधी के संगे रहने उ बतावत रहने कि बाबा उनके भी श्रीकृष्ण के मंत्र आ जीते के आशीर्वाद स्वरूप पंजा निशान बतवले रहने. जुगानी भाई तकरीबन 40-45 साल बाबा के संपर्क में रहल हवें.श्रद्धालु लोगन के लाभ हां, बाबा के प्रति श्रद्धा रखे वाला बहुत से लोगन के इ लागे कि बाबा उनकर रक्षा करेने. अइसना लोगन के मुताबिक जब श्रद्धालु लोग संकट में पड़स तब बाबा के याद कइले प उनकर संकट खत्म हो जाला. जुगानी भाई याद करेने कि एक बार योग पर बाबा के इंटरव्यू कइके ले अइले. जब ओके प्रसारित करे के कोशिश करे लगने त उ होते ना रहल. जुगानी भाई कहेने- 'तब हम कहनी जब प्रसारित नाहीं करावे के रहल हा तब काहें इंटरव्यू देबे कइला बाबा. एह बीच रेडियो पर समय काटे वाला फिलर प्रोग्राम चलत रहे आ बाबा के याद कइले पर इंटरव्यू चलि पड़ल.'अंतिम समय वृंदावन में बाबा के आयु के लेकर भी भोजपुरिया समाज में तरह तरह के चर्चा बा. केहू कहेला कि बाबा 5 सौ साल जिअले के बाद तब परलोक गइनें त केहू तीन सौ साल बतावेला. एह बारे में कवनो प्रमाण नाहीं बा, लेकिन बाबा नजदीकी लोगन से हठयोग के चर्चा करत रहने. साथ में इहो कहस कि व्यायाम कइल योग नाहीं ह. उनके लिए अष्टांग योग महत्वपूर्ण रहे. खुद बाबा के तकरीबन सब योग मुद्रा सिद्ध रहे. बाबा के योगेश्वर श्रीकृष्ण में बहुत प्रेम रहे शायद इहे कारण रहे कि बाबा अंतिम समय में वृंदावन चलि गइल रहने. उहां 1990 में बाबा योगिनी एकादशी के एह शरीर के छोड़ के परम लोक चलि गइने. योगिनी एकादशी एह महीना में सोमवार ( 5 जुलाई )के बा. ( डिसक्लेमर- लेखक पत्रकार हैं और ये उनके निजी विचार हैं.)

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