विभाग में सही कार्य करने की जिद के कारण अनिल थे आंखों की किरकिरी

लखीसराय। सिविल सर्जन कार्यालय में प्रतिनियुक्त होने के बाद स्वास्थ्य प्रशिक्षक अनिल कुमार स्थापना जैसे अति महत्वपूर्ण शाखा के कार्य का निष्पादन कर रहे थे। उन्हें अपने मनोनुकूल सही कार्य करने की जिद थी। वे किन्हीं के भी दबाव में आकर कार्य नहीं करते थे। कई बार वरीय पदाधिकारी के कहने के बाद भी वे गलत कार्य नहीं करने की सलाह देते थे और अपनी सहमति नहीं देते थे। गलत काम नहीं होने देने के कारण वे अधिकांश लोगों की आंखों की किरकिरी बने हुए थे। 14 जून 21 को नक्सली के नाम पर धमकी भरा पत्र मिलने के बाद भी वे अपनी मौत की संभावना को हल्के से लिया। मृतक की पत्नी के अनुसार अनिल की हत्या के पीछे विभागीय लोगों का ही हाथ हो सकता है। ऐसे में इस बात को बल मिलता है कि गलत काम कराने वाले लोगों ने उनकी हत्या कराई हो। संभव है अनिल कुमार अपनी पत्नी से कभी ऐसी चर्चा साझा किया हो। पुलिस इस आधार पर विभाग के अंदर छिप मास्टरमाइंड की तलाश में लगी है।


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केस स्टडी - एक
तीन माह पूर्व स्वास्थ्य विभाग के पत्र के आलोक में जिले में 11 जीएनएम का योगदान कराया गया। स्वास्थ्य प्रशिक्षक अनिल कुमार जीएनएम की नियुक्ति संबंधी स्वास्थ्य विभाग के पत्र को फर्जी होने की आशंका जता रहे थे। साथ ही सभी तरह की जांच के बाद ही वेतन का भुगतान करने पर जोर दे रहे थे परंतु कुछ स्वास्थ्य संस्थानों से नवनियुक्त जीएनएम के कागजात की जांच कराए बिना ही वेतन का भुगतान कर दिया गया। इसको लेकर एक माह पूर्व स्वास्थ्य प्रशिक्षक अनिल कुमार का जीएनएम के वेतन का भुगतान करने वाले संबंधित संस्थान के पदाधिकारी एवं संबंधित जीएनएम के साथ वाद-विवाद भी हुआ था।
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केस स्टडी - दो
डीडीटी छिड़काव कर्मियों का चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी के रूप में बहाली होनी है। डीडीटी छिड़काव कर्मी संघ के बार-बार धरना-प्रदर्शन करने के बावजूद सिविल सर्जन कार्यालय से प्रस्ताव जिलाधिकारी के यहां नहीं भेजा गया है। स्वास्थ्य प्रशिक्षक अनिल कुमार ही डीडीटी छिड़काव कर्मियों की फाइल देखते थे। डीडीटी छिड़काव कर्मियों का मानना था कि स्वास्थ्य प्रशिक्षक अनिल कुमार की मनमानी के कारण ही उन लोगों की नौकरी नहीं हो रही है। फाइल नहीं भेजने का राज अब तक नहीं खुला।
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केस स्टडी - तीन
लखीसराय के सिविल सर्जन रहते डा. राजकिशोर प्रसाद प्रोन्नति पाकर क्षेत्रीय अपर निदेशक मुंगेर के पद पर योगदान किए। इसके बाद उन्होंने मुंगेर, खगड़िया, बेगूसराय, शेखपुरा एवं जमुई जिला में पदस्थापित 20 एएनएम का गृह जिला लखीसराय में स्थानांतरण कर दिया। सभी एएनएम खुश होकर अपने गृह जिला में योगदान करने लखीसराय पहुंची परंतु स्थापना शाखा का कार्य देख रहे स्वास्थ्य प्रशिक्षक ने तकनीकी कारण बताकर एक भी एएनएम का लखीसराय में योगदान नहीं करने दिया। इस कारण सभी एएनएम को पुन: अपने पूर्व के स्थान पर ही वापस लौटने को विवश होना पड़ा।
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केस स्टडी -चार
पूर्व सिविल सर्जन डा. अशोक कुमार ने जिले की 102 एएनएम का सामूहिक स्थानांतरण किया था। इसको लेकर जिले के स्वास्थ्य विभाग में काफी उथल-पुथल हुआ। स्थानांतरित एएनएम एवं संघ स्थानांतरण में धांधली का आरोप लगाते हुए इसके लिए स्वास्थ्य प्रशिक्षक अनिल कुमार को ही जिम्मेदार ठहरा रहे थे। इसको लेकर जिले की एएनएम दो गुटों में बंट गई तथा दोनों ही गुट विभाग के वरीय पदाधिकारियों के अलावा उच्च न्यायालय पहुंची। अंत में 102 एएनएम के स्थानांतरण को रद कर दिया गया।
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केस स्टडी - पांच
एएनएम के स्थानांतरण के बाद जिले की 18 एएनएम ने योगदान नहीं किया था। इस कारण करीब पांच माह तक वे लोग ड्यूटी नहीं की। 102 एएनएम के स्थानांतरण को रद किए जाने के बाद संबंधित एएनएम पूर्व के ही स्थान पर योगदान की परंतु पांच माह का वेतन लंबित रहा। संबंधित एएनएम के वेतन भुगतान की मांग को लेकर संघ द्वारा कई बार धरना-प्रदर्शन भी किया गया। सिविल सर्जन के आदेश पर संबंधित एएनएम की कई बार सेवा पुस्तिका भी सिविल सर्जन कार्यालय भेजा गया परंतु सेवा पुस्तिका पुन: वापस लौटा दी गई। संबंधित एएनएम एवं संघ के पदाधिकारी इसके लिए भी स्वास्थ्य प्रशिक्षक अनिल कुमार को ही जिम्मेदार ठहरा रहे थे। वे लोग स्वास्थ्य प्रशिक्षक को सिविल सर्जन कार्यालय से हटाने की मांग पर अब तक आंदोलन कर रहे थे।
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पुलिस को जांच के दौरान सभी बिदुओं पर विस्तृत जानकारी दी जाएगी। अनिल कुमार अच्छे कर्मी थे। उनके परिवार को न्याय मिले इसलिए विभागीय स्तर पर पुलिस को पूरी मदद मेरे स्तर से की जाएगी।
डॉ. डीके चौधरी, सिविल सर्जन, लखीसराय।
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