सूख रहे मनरेगा से लगे पौधे, जिम्मेदार बने हैं उदासीन

मधेपुरा। प्रखंड की विभिन्न पंचायतों में मनरेगा योजना से हर साल लाखों रुपये से पौधारोपण किया जाता है। देखरेख के अभाव में अधिकांश पौधे सूख रहे हैं। इससे हरियाली अभियान फ्लाप साबित हो रहा है। स्थिति यह है कि ब्लाक, अंचल परिसर व मनरेगा कार्यालय के समीप वर्ष 2020-21 में 2,80,622 प्राक्कलित राशि से लगाए गए पौधों में अधिकांश पौधे सूख गए हैं। जबकि बीडीओ, सीओ, मनरेगा पीओ सहित कर्मियों का आना-जाना लगा रहता है। इसके बावजूद इनकी सुरक्षा के प्रति सभी पदाधिकारी उदासीन हैं। इससे सहज समझा जा सकता है कि पदाधिकारी के कार्यालय का हाल बेहाल है, तो ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा से लगाए गए पौधे की हाल क्या होगा। मवेशियों से बचाने के लिए बांस से बने गैबियन लगाए जाते हैं, लेकिन गैबियन की कमाची इतनी कमजोर रहती है कि जल्द ही टूट जाती है। जबकि पौधा देखरेख के लिए वनरक्षकों की तैनाती की जाती है। विभागीय स्तर से पारिश्रमिक राशि भी दी जाती है, लेकिन समय-समय पर पर्याप्त पानी, खाद व दवाई नहीं मिल पाने की वजह से अधिकांश पौधा बड़े होने से पूर्व ही सूख जाता है। लोगों का कहना है कि मनरेगा योजना से सड़क किनारे, निजी भूमि, नहर के किनारे पौधे लगाए जाते हैं। इसकी देखरेख के लिए बहाल किए गए अधिकांश वन रक्षक कागज पर ही बने रहते हैं।


इस संबंध में पीओ डा. संजीव कुमार के मोबाइल पर संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन बात नहीं हो पाई। वहीं, मनरेगा पीटीए किशोर झा ने बताया कि विभागीय स्तर से किसी प्रकार की उदासीनता नहीं बरती गई है। वन रक्षक के देखरेख में कमी के कारण पौधे सूखे हैं। बिहारीगंज व कुश्थन पंचायत को नवगठित नगर पंचायत का दर्जा मिलने के कारण नए पौधा लगाने में परेशानी है। इसके बावजूद जरूरी स्थलों पर पौधा लगाया जाएगा। वन रक्षक का परिश्रमिक बंद करा दिया गया है।
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