घाटे में मेहनतकश, मुनाफे में व्यापारी



मधेपुरा।
उदाकिशुनगंज अनुमंडल में बड़े पैमाने पर सब्जी की खेती होती है। यहां उत्पादित सब्जी क्षेत्रीय बाजारों के अलावा भागलपुर, पूर्णिया व सहरसा की मंडी तक पहुंचती है। सब्जी की खरीद करने वाले व्यापारी किसानों के खेत तक पहुंचते हैं। जहां से सब्जी खरीद कर मंडी अथवा बाजार तक ले जाई जाती है। किसानों से खरीद की गई सब्जी को व्यपारी ऊंची कीमत में बेचते हैं।
वर्तमान समय में इस क्षेत्र में परवल, झींगा, भिडी, बैगन, करेला व हरी मिर्च आदि की खेती हो रही है, लेकिन सब्जी उत्पादन करने वाले किसान परेशान हैं। उन्हें कम कीमत मिलने से नुकसान हो रहा है। जबकि व्यवसायी कम कीमत पर सब्जी लेकर बाजार में अधिक दामों में बेचते हैं। इससे किसानों को घाटा हो रहा है, जबकि व्यवसायी मालामाल हो रहे हैं। किसानों को बाजार भाव से भी आधी कीमत मिलती है, जबकि मुनाफा व्यवसायी को हो रहा है।

सब्जी उत्पादक की स्थिति को लेकर सहकारिता विभाग ने जल्द ही अपनी मंडी के साथ-साथ बड़ा बाजार देने की बात कही है। सहकारिता पदाधिकारी अरविद पासवान ने बताया कि सरकार के निर्देश पर जिले के सभी प्रखंडों में सब्जी मंडी का निर्माण किया जाएगा।
इन गांव में होती है खेती उदाकिशुनगंज के मंजौरा, कुमारपुर, दैवैल, बीड़ी, मोहीमडीह, लक्ष्मीपुर लालचंद, चांय टोला, रामपुर, जौतेली आदि गांवों में सब्जी की खेती की जाती है। यहां उपज की गई सब्जी भागलपुर, सहरसा, पूर्णिया की मंडी तक जाती है, लेकिन उत्पादन करने वाले किसानों को सही कीमत नहीं मिल पाती है।
उचित बाजार मिलने से आएगी खुशहाली किसानों का मानना है कि सरकारी मदद मिलने से खुशहाली आएगी। इसके लिए उचित बाजार स्थापित करने की जरूरत है। ताकि किसान अपनी उपज की सब्जी को बाजार में सही कीमत पर बेच सकें।
मंडी स्थापित होने से बहुरेंगे दिन हाल के दिनों में सरकार ने कृषि को बढ़ावा देने की बड़ी योजना बनाई है। इसके तहत सहकारिता विभाग द्वारा स्थानीय स्तर पर मंडी स्थापित करने की योजना है। योजना से इलाके में सब्जी उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा। इससे यह इलाका सब्जी उत्पादन में आत्मनिर्भर होगा। पारंपरिक खेती की अपेक्षा किसानों को अत्यधिक लाभ भी होगा। कृषि विभाग द्वारा इसके लिए किसानों को सब्जी का मुफ्त बीज भी उपलब्ध कराया जाना है।
सब्जी का होगा कलेक्शन समितियों के माध्यम से सब्जी कलेक्शन, प्रसंस्करण और वितरण के लिए सब्जी उत्पादकों की सहकारी समिति बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। बिहार सहकारी सोसाइटी अधिनियम, 1935 के तहत गठित त्रिस्तरीय सहकारी संरचना के माध्यम से किया जा रहा है। जिला स्तर पर संघ और राज्य स्तर पर परिसंघ बनेगा।
सब्जियों की कीमत (प्रति किलो में) सब्जी : किसान को दी जा रही राशि : बाजार मूल्य बैंगन : 10 : 40 परवल : 20 : 50 झींगा (परोल) : 05 : 20 भिडी : 05 : 30 मिर्च (हरी) : 15 : 60
कहां जा रहा है बीच का मुनाफा
किसानों द्वारा बेची गई सब्जी के दाम और बाजार भाव काफी आश्चर्यचकित करने वाला है। कीमत के आंकड़ों पर गौर करें तब सब्जी उत्पादक किसान को आधा ही नहीं तिहाई भाग से कम कीमत मिल रहा है। बानगी के तौर पर देखें तो किसान बैंगन को अपने खेत में 10 रुपया प्रति किलो के दर से बेचते है। यहां कीमत खुदरा बाजार तक पहुंचते ही 40 रुपये किलो हो जाता है। सवाल उठता है की बीच बड़ी मार्जिंग कहां चला जाता है। यह बड़ा पहलू है। इस समस्या के हल को ढूंढ़ निकालने की भी आवश्यकता होगी।
कोट मेहनत के हिसाब से हमें सब्जी का उचित कीमत नहीं मिल रही है। सही कीमत मिलने से हमारे हालत सुधरेंगे। इसके लिए सरकारी स्तर पर व्यवस्था होनी चाहिए। -सत्यनारायण मंडल, मंजौरा उदाकिशुनगंज
इस इलाके में सब्जी की खेती की शुरुआत लोगों ने यह सोच कर की थी कि अच्छी खासी आमदनी होगी, लेकिन सही कीमत नहीं मिलने से निराशा हो रही है। -रांकी देवी, मंजौरा, उदाकिशुनगंज
खेती जीविका का मुख्य साधन है। खेती के सहारे ही स्वजन का भरण-पोषण हो पाता है। फिर भी हमें सब्जी की सही कीमत नहीं मिल पाती है। -सुचिता देवी, मंजौरा, उदाकिशुनगंज
बाजार भाव से बहुत कम कीमत सब्जी की मिलती है। इससे घर चलाने में भी मुश्किल होता है, जबकि खेती करने में काफी मेहनत लगती है। बाजार भाव से काफी कम कीमत मिलती है। सरकार ध्यान दे तो स्थिति बदल सकती है। -शिवन मंडल, मंजौरा, उदाकिशुनगंज
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