सर्वे टीम कर रही कालाजार संदिग्धों की जांच, इस वर्ष पूर्णिया जिले में 16 रोगियों की पहचान

पूर्णिया। जिले में कोरोना संदिग्धों की तलाश के लिए लगाई गई स्वास्थ्य विभाग की टीम बुखार पीड़ित मरीजों की चेकअप करने के लिए डोर टू डोर भ्रमण कर रही है। यह सर्वे टीम कालाजार रोगी की भी पहचान कर रही है। इस बाबत वाहक जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डा. आरपी मंडल ने बताया कि दरअसल कोरोना और कालाजार दोनों में प्रारंभिक लक्षण बुखार ही है। कालाजार का बुखार अधिक दिनों तक रहता है। सर्वे टीम बुखार पीड़ित मरीज मिलने पर उसकी जांच करती है। अगर उसकी रिपोर्ट कोरोना नेगेटिव होती है तो उस संदिग्ध की कालाजार जांच भी की जाती है। इस वर्ष इस तरह सर्वे में 16 कालाजार रोगी पहचान हुई है। धीरे -धीरे जिले में कालाजार के मामले में काफी कमी आई है। इसके अलावा मलेरिया पर भी नियंत्रण पाने में यहां सफलता मिली है। इस वर्ष अब तक मलेरिया के सिर्फ चार रोगी मिले हैं।

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कालाजार रोगी का सिगल डोज से होता है उपचार --:
इस वर्ष सिर्फ 16 मामलों की पहचान की गई है। इसमें पीकेडीएल के 13 और एचआईवी वीएल के तीन मामले मिले है। कालाजार के प्रति जिले में चिह्नित इलाके में आवासीय छिड़काव और जागरूकता अभियान भी चलाया जा रहा है। वाहक जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी ने बताया कि जिले में लगातार मामले में गिरावट आ रही है। चिह्नित गांवों में आवासीय छिड़काव किया जाता है। इससे वाहक मक्खी पनपने से रोका जा सकता है। मिट्टी वाले घर और नमी युक्त वातावरण वाहक मच्छर के पनपने के लिए जिम्मेदार है।
जिले में एक भी सक्रिय स्थल नहीं
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जिले में वर्ष 2020 में 64, 2019 में 103, 2018 में 165 और 2017 में 212 मामले कालाजार के मिले थे। स्पष्ट है कि कालाजार नियंत्रण की दिशा में जिला आगे बढ़ रहा है। फिलहाल जिले में एक भी सक्रिय स्थल नहीं है। डा आरपी मंडल ने बताया कि अब रोगी की जांच रिपोर्ट मौके पर ही दी जाती है। किट से दस मिनट के अंदर परिणाम मिल जाते है। मरीज का एक बार कालाजार बुखार डायग्नोस हो गया तो सिगल डोज में ही बीमारी से आराम मिल जाता है।
लोगों को सफाई व लक्षण के बारे में दी जाती है जानकारी
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जिले में इसके लिए नियमित सर्विलांस अभियान चलाया जा रहा है। चिन्हित गांवों में डोर-डोर संदिग्ध की जांच की जाती है। लोगों को सफाई के प्रति भी जागरूक किया जा रहा है। मामले कम होने के बावजूद विभाग सावधानी बरत रहा है। इलाके जहां तीन या चार मामले मिल जाते हैं तो पूरे गांव में संदिग्धों की जांच होती है। आसपास के गांव में भी इसी तरह का अभियान चलाया जाता है। मलेरिया के मामले में भी आई है कमी
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मलेरिया के इस वर्ष सिर्फ चार मामले मिले। 2020 में 24 मामले, 2019 में 82 और 2017 में 66 मामले मिले थे।
मलेरिया के मामले अब जिले में एक -दो ही मिलते है। इस रोग को अब जिला नियंत्रित कर चुका है। कोट के लिए -
चिह्नित पंचायतों में नियमित आवासीय छिड़काव किया जा रहा है। इससे वाहक मच्छर को खत्म करने में मदद मिली है। कोरोना सर्वे टीम कालाजार संदिग्धों की भी जांच कर उसे चिन्हित कर रही है। साथ ही उसका उपचार भी किया जा रहा है।
डा आरपी मंडल, वाहक जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी
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