पूर्णिया में कोर्ट ने जिसे माना था लापरवाह, एसपी ने उसे बनाया जलालगढ़ का थाना प्रभारी

पूर्णिया [राजीव कुमार]। कोर्ट ने जिस थाना प्रभारी को लापरवाह माना था, जो विभागीय जांच में भी दोषी पाए गए थे, एसपी ने उसे ही अब जलालगढ़ थाने का प्रभार दे दिया है। मंरगा थाना क्षेत्र के लालगंज में नौ अगस्त 2019 को दोहरे हत्याकांड हुआ था। इसके जांचकर्ता और मंरगा के पूर्व थाना प्रभारी मुकेश मिश्रा पर जांच में लापरवाही बरतने के आरोप लगे थे। न्यायालय के आदेश पर इनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई भी हुई थी। इसके संचालन पदाधिकारी बायसी के पुलिस उपाधीक्षक मनोज राम बनाए गए थे। बायसी डीएसपी ने इसी साल मार्च में विभागीय कार्रवाई पूरी कर एसपी को रिपोर्ट सौंप दी। इसमें पूर्व थाना अध्यक्ष मुकेश मिश्रा दोषी पाए गए। इसके बाद भी उन्हें पूर्णिया अररिया सीमा पर स्थित जलालगढ़ जैसे संवेदनशील थाने की कमान सौंप दी गई।


मरंगा के पूर्व थाना अध्यक्ष मुकेश मिश्रा जब मरंगा के थाना अध्यक्ष थे तो नौ अगस्त को लालगंज के दिनेश प्रसाद सिन्हा एवं उनकी पत्नी माया देवी की हत्या कर शव को ले जाकर नदी में फेंक दिया गया था। इस मामले में एक आरोपित अभी सलाखों के पीछे है। हालांकि पूर्व मंरगा थाना अध्यक्ष मुकेश मिश्रा द्वारा इस मामले की जांच में बरती गई सुस्ती की चर्चा आज भी लोगों की जुबान पर है।
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दपंती के गायब होने का कई महीने तक चला नाटक, पुलिस बनी रही तमाशबीन
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बताया जाता है कि लालगंज स्थित बासा से जब दंपति दिनेश प्रसादल सिन्हा एनं उनकी पत्नी मायादेवी गायब हुए तो कई महीने तक उनके लापता होने की कहानी चलती रही। उनके आखिरी मोबाइल लोकेशन को आधार पर पुलिस भी इस थ्योरी को मान बैठी की घर से निकलने के बाद रास्ते में ही किसी ने इस दंपति को उठाकर अगवा कर लिया। सबसे बड़ी बात यह है कि जिस आरोपी ने इस दपतर की हत्या की थी उसे मरंगा के पूर्व थाना अध्यक्ष मुकेश मिश्रा इस मामले के आरोपी मानने को कतई तैयार नहीं थे। वह इस दौरान की बार मरंगा थाना तक गया लेकिन पुलिस कहती रही की उसकी इस हत्या की घटना में कोई भूमिका नहीं है। अजीत भगत ही वह शख्स था ज इस दपंति का जमीन किराए पर लेकर बकरी पालन करता था। इस दपंती ने एक गाय भी पाल रखी थी जो घटना के दिन से ही गायब थी।
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गाय की बरामदगी के बाद खुला था पूरा मामला
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पुलिस पर जब इस मामले को सुलझाने का दवाब बढ़ा तो आइजी विनोद कुमार ने भी मंरगा खाना पहुंचकर इस मामले की समीक्षा की। इसके बाद पुलिस हरकत में आई तथा उसने चोरी गयी गाय को शास्त्रीनगर से बरामद कर लिया। इसके बाद इस बात का खुलासा हुआ की इस हत्या की घटना की साजिश अजीत भगत ने रची और उसी ने नौ अगस्त के दिन ही दोनों पति पत्नी की हत्या कर शव को ले जाकर नदी में फेंक दिया। आरोपी अजीत भगत ने स्वीकार किया की हत्या के बाद जूट की बोरीे में शव को बारी-बारी से उसने ले जाकर बैलोरी नदी में फेंक दिया। हालांकि आज तक इस मामले में पुलिस को इस दोहरे हत्याकांड का शव नदी से बरामद नहीं हो सका है।
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न्यायालय ने आरोप पत्र पर पूर्व थाना अध्यक्ष को लगाई थी फटकार
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पूर्व थाना अध्यक्ष सह अनुसंधानकर्ता ने इस मामले में न्यायालय में आरोप पत्र समर्पित किया तो न्यायालय ने कड़ी फटकार लगाई और की बिन्दुओं पर इस मामले की जांच फिर से शुरू करने का निर्देश दिया। न्यायालय ने कहा कि जिस तरह से इस मामले के अनुसंधान में लीपापोती की गयी है उससे लगता है जांच अधिकारी ने जान बूझकर आरोपियों को बचाने के लिए ऐसा किया। जांच अधिकारी की लापरवाही के कारण ही इस मामले में दोनों शव अब तक बरामद नहीं किए गए। जांच में बरती गयी लापरवाही को देखते हुए न्यायालय ने पूर्व थाना अध्यक्ष के खिलाफ विभागीय कार्रवाई चलाने का निर्देश तत्कालीन एसपी विशाल शर्मा के दिया। जिसके बाद एसपी ने विभागीय कार्रवाई तत्काल शुरू करते हुए संचालन पदाधिकारी बायसी डीएसपी को बनाया। इस विभागीय कार्रवाई में पूर्व थाना अध्यक्ष दोषी करार दिए गए।
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मुख्यालय का स्पष्ट आदेश साफ छवि वाले ही बनाए जाएं थाना अध्यक्ष: आइजी मुख्यालय
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राज्य पुलिस मुख्यालय का सभी जिलों के एसपी को इस बात का स्पष्ट निर्देश है की वे अपने जिले में साफ छवि वाले पुलिस पदाधिकारियों को ही थाने की कमान सौंपे। ताकि क्षेत्र की जनता के बीच यह साफ संदेश जाए की पुलिस मुख्यालय किसी भी तरह की अपराध नियंत्रण में ढिलाई एवं लापरवाही बर्दाश्त नहीं करेगा। ये बातें आइजी मुख्यालय राकेश राठी ने कही। उन्होंने कहा कि किसी भी तरह के विवादित पुलिस पदाधिकारियों को थाने की कमान किसी भी सूरत में सौंपने पर मनाही है। उन्होंने कहा कि इस तरह के गड़बड़ी की शिकायत अगर कहीं से मिलती है तो इस मामले में संबंधित क्षेत्र के आइजी से रिपोर्ट मांगी जाएगी और संबंधित पुलिस पदाधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। कोट के लिए
मरंगा थाना क्षेत्र का दोहरा हत्याकांड काफी पुराना मामला है। डीएसपी ने भले विभागीय कार्रवाई में पूर्व थाना अध्यक्ष को दोषी पाया हो लेकिन उन्हें उस तरह की सजा नहीं मिली होगी कि थाना प्रभारी नहीं बनाया जाए: दयाशंकर एसपी पूर्णिया
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