पूर्णिया में सस्ते अनाज की सही जानकारी दूर करेगा कुपोषण की बीमारी

पूर्णिया। सस्ते अनाज की सही जानकारी देकर बच्चों को कुपोषण से बचाने का प्रयास किया जा रहा है। इसके लिए आइसीडीएस और स्वास्थ्य विभाग डवलपमेंट पार्टनर यूनीसेफ के सहयोग से सामुदायिक प्रबंधन कार्यक्रम का संचालन कर रहा है। इसमें आंगनबाड़ी केंद्र और पंचायत स्तर पर लोगों को सस्ते और मोटे अनाज के माध्यम से कुपोषण दूर करने की जानकारी दी जाती है। पोषण वाटिका और पोषण मेला का आयोजन कर सस्ते और मोटे अनाज के बारे में जानकारी दी जाती है। परियोजना के अंतर्गत हो रहा आंगनबाड़ी केंद्र माध्यम से अन्न प्रासन्न दिवस आयोजित किया जाता है।


दरअसल, कुपोषण की समस्या अब भी विकराल बनी हुई है। समेकित बाल विकास परियोजना के जारी आंकड़े के मुताबिक अब जिले में कुपोषित बच्चों की संख्या 32 फीसद है। दो फीसद की दर से कुपोषण कम करने का लक्ष्य प्रत्येक वर्ष के लिए निर्धारित किया जाता है। सदर अस्पताल में संचालित पोषण पुनर्वास केंद्र कुपोषित बच्चों की भर्ती कर उपचार करने में कारगर साबित नहीं हो पा रहा है। पोषण पुनर्वास केंद्र में 14 दिनों तक मां के साथ अति कुपोषित बीमार बच्चों की भर्ती कर उपचार किया जाता है। मानसिक और शारीरिक दोनों विकास पर फोकस किया जाता है। बच्चों को भर्ती करने से अभिभावक कतराते हैं। यही कारण है कि अब भी यहां भर्ती दर महज 40 फीसद है जो कोरोना काल में और भी घट गया है। चिकित्सक डा. एनके झा बताते हैं कि ऐसे बड़ी संख्या में बच्चे हैं जो कुपोषण के शिकार तो हैं लेकिन गंभीर बीमारी के गिरफ्त में नहीं आए है। ऐसे बच्चों का सामुदायिक स्तर पर कुपोषण दूर करने का प्रयास चल रहा है। इसके लिए जिले में कुपोषित बच्चों का सामुदायिक स्तर पर प्रबंधन किया जा रहा है।
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घर-घर आयोजित होता है अन्न प्रासन्न दिवस --:
कोरोना के दौरान प्रत्येक माह 19 तारीख को अन्न प्रासन्न दिवस घर-घर जाकर मनाया जाता है। सेविका घर में शिशु को घरेलू अनाज से ही तैयार आहार खिलाती है और माता को इसके तैयार करने के विधि की जानकारी भी देती है सस्ते और घरेलू अनाज से भी संपूर्ण पोषण संभव है इसके लिए महंगे अनाज और फल की आवश्यकता नहीं है छह माह के बाद बच्चों को अतिरिक्त आहार देनी चाहिए। शिशुओं को पहले छ: महीने केवल मां का दूध देना चाहिए लेकिन इसके बाद उन्हें मां के दूध के साथ ही पर्याप्त मात्रा में ऊपरी आहार दिया जाना चाहिए। पर्याप्त मात्रा में ऊपरी आहार के मिलने से शिशुओं के शारीरिक और मानसिक विकास होता है। इस उम्र में शिशुओं का शारीरिक और मानसिक विकास तेजी से होता है। इसलिए इस दौरान शिशुओं को ऊपरी आहार की आवश्यकता होती है। इसे ध्यान में रखते हुए ही इस मौके पर माता -पिता और अभिभावक को अतिरिक्त आहार कैसे दें और उसको कैसे तैयार करें इसकी जानकारी दी जाती है। सस्ते अनाज का बुद्धिमत्ता से करना होगा उपयोग --
शिशु के लिए प्रारंभिक आहार तैयार करने के लिए घर में मौजूद मुख्य खाद्य पदार्थों का उपयोग किया जा सकता है। सूजी, गेहूं का आटा, चावल, रागा, बाजरा आदि की सहायता से पानी या दूध में मिलाकर दलिया बनाया जा सकता है। बच्चे के आहार में चीनी अथवा गुड को भी शामिल करना चाहिए, क्योंकि उन्हें अधिक ऊर्जा की जरूरत होती है। छह से नौ माह तक के बच्चों को गाढे़ और सुपाच्य दलिया खिलाना चाहिए। वसा की आपूर्ति के लिए आहार में छोटा चम्मच घी या तेल डालना चाहिये। दलिया के अलावा अंडा, मछली, फलों एवं सब्जियों जैसे संरक्षक आहार शिशुओं के विकास में सहायक होते हैं।
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