आवश्यकता से अधिक उर्वरक जिले में है उपलब्ध

खगड़िया। खरीफ के इस मौसम में बुआइ कार्य अब अंतिम चरण में हैं। किसान धान का बिचड़ा गिराने से लेकर रोपनी में व्यस्त हैं। जिले में इस साल 20 हजार हेक्टेयर में धान की खेती की जानी है। जिसके लिए निर्धारित दो हजार हेक्टेयर में बिचड़ा लगाने का लक्ष्य लगभग पूर्ण हो चुका है। वहीं अन्य फसलों की भी बुआई लगभग हो चुकी है। खरफ को लेकर विभिन्न उर्वरकों की खरीदने को लेकर दुकानों तक पहुंचने लगे हैं। धान की रोपनी के साथ ही खाद की जरूरत किसानों को अधिक होगी। धान की रोपनी करने के 20 से 25 दिनों के अंतराल पर यूरिया की पहली खेप की जरूरत होती है। जिले को इस मौसम में 45 हजार 840 मीट्रिक टन उर्वरक की जरूरत है। जिस में सर्वाधिक 21 हजार 685 मीट्रिक टन यूरिया की जरूरत है। धान के पौधों के वानस्पतिक विकास के लिए समय से यूरिया की उपलब्धता जरूरी होती है। वर्तमान समय में जिले में 10 हजार 117 मेट्रिक टन यूरिया उपलब्ध है। जबकि जुलाई माह में मात्र तीन हजार 838 मीट्रिक टन यूरिया की ही आवश्यकता है। वही 13 हजार 42 मीट्रिक टन डीएपी की आवश्यकता है। जुलाई में तीन हजार 500 मीट्रिक टन की जरूरत है। तीन हजार 640 मीट्रिक टन डीएपी अभी उपलब्ध है। जिला कृषि पदाधिकारी शैलेश कुमार के अनुसार जिले में उर्वरकों की कमी नहीं है। जुलाई के लिए खपत से अधिक मात्रा में विभिन्न उर्वरक उपलब्ध है। कालाबाजारी रोकने और दुकानदारों द्वारा अधिक मूल्य न वसूल किया जाए इसे लेकर लगातार नजर रखी जा रही है। गरबड़ी करने वाले कदापी बख्से नहीं जाएंगे। खरीफ में उर्वरक की आवश्यकता और उपलब्धता, मीट्रिक टन में उर्वरक जरूरत उपलब्धता जुलाई में जरूरत

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यूरिया 21685 10117 3838
डीएपी 13042 3640 3500
एसएसपी 2014 483 490
एमओपी 3000 4163 901
एनपीके 4099 1794 1223 ( मात्रा मीट्रिक टन में )

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