श्वेत क्रांति से पहले ही सूख गई धारा

किसानों की आमदनी दोगुनी करनी थी, लिहाजा श्वेत क्रांति का सपना देखा गया। सपना हकीकत में तब्दील हो इसके लिए उत्तम नस्ल की दुधारू पशुओं पर अनुदान की योजना शुरू की गई। पहले बैंक की उदासीनता से ग्रहण लगा तो बाद में स्वलागत से डेयरी स्थापित करने का विकल्प दिया गया, लेकिन आहिस्ता आहिस्ता योजनाओं में लक्ष्य के साथ-साथ आकार भी सिमटता चला गया।

यूं कहें कि वक्त के साथ इन योजनाओं की धाराएं सूख गई। योजना के तहत किसानों को दो से लेकर 20 गाय और भैंस के अलावा बछिया और पाड़ी के लिए भी अनुदान की योजना थी। तब जिले का लक्ष्य 300 यूनिट के आसपास होता था। अभी यह लक्ष्य मात्र 86 यूनिट रह गया है। इसमें भी सिर्फ दो और चार गाय की डेयरी यूनिट पर अनुदान का प्राविधान है। छह, दस और 20 गाय का यूनिट तो स्थापित किया ही नहीं जाएगा। इससे इतर तमाम कोशिशों के बावजूद बैंकों की उदासीनता कायम है। 2019-20 में 136 आवेदन के विरुद्ध 16 आवेदन स्वीकृत कर ऋण दिए गए, जबकि 2020-21 में यह संख्या महज सात पर ही अटक गई।

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लक्ष्य - 2019 -20
गाय सामान्य एससी एसटी 2 - 85 --- 11 -- 5 4 - 13 --- 4 - 0 6 - 9 --- 2 - 0 10 - 6 - 1 -------------------------------- 113 - 18 - 5 = 136 ---------- लक्ष्य 2020 - 21 गाय सामान्य ओबीसी एससी एसटी 2 - 50 - 7 - 10 - 2 4 - 10 - 3 - 4 -------------------------------- 60 - 10 - 14 - 2 = 86 ----------
यह है योजना
पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग से समग्र गव्य विकास योजना अंतर्गत अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति तथा अति पिछड़ा वर्ग के लिए दो एवं चार दुधारु मवेशी की डेयरी इकाई की स्थापना के लिए 75 फीसद अनुदान का प्राविधान है। इसके अलावा सामान्य एवं पिछड़ा वर्ग के लिए डेयरी इकाई स्थापित करने पर 50 फीसद अनुदान दिया जाता है। योजना के तहत दो दुधारू मवेशी यूनिट के लिए 1.60 लाख तथा चार मवेशी यूनिट के लिए 338400 कुल लागत व्यय निर्धारित किया गया है। अत्यंत पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के लिए पांच फीसद तथा शेष वर्गों के लिए 10 फीसद अंशदान सुनिश्चित है। राज्य सरकार द्वारा अनुदान के पश्चात अत्यंत पिछड़ा वर्ग अनुसूचित जाति व जनजाति के लिए यूनिट लागत राशि का 20 तथा सामान्य व पिछड़ा वर्गों के लिए 40 फीसद ही ऋण दिया जाना है।
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केस स्टडी
लक्ष्मीपुर प्रखंड अंतर्गत पिडरौन गांव के आवेदक पप्पू सिंह, सुरेंद्र सिंह जिनहरा गांव निवासी मनोज कुमार गुप्ता, काला निवासी धर्मेंद्र पासवान तथा बरमनिया गांव के चंदर यादव ने 2019-20 में डेयरी के लिए आवेदन किया था। जिसे स्वीकृत कर गव्य विकास कार्यालय से भारतीय स्टेट बैंक लक्ष्मीपुर भेजा गया, लेकिन वहां से नकारात्मक जवाब मिलने के कारण इन लोगों की गोपालन की योजना अधूरी रह गई।
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कोट
2019-20 वित्तीय वर्ष में 136 यूनिट लक्ष्य के विरुद्ध 16 तथा 2020-21 में 86 के विरुद्ध सात यूनिट के लिए अलग-अलग बैंक शाखाओं द्वारा ऋण स्वीकृत किया गया। इस साल बैंक ने सकारात्मक कदम का संकेत दिया है।
कैलाश प्रसाद, गव्य विकास क्षेत्रीय पदाधिकारी, जमुई

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