पुलिस लापरवाही नहीं करती तो बच सकती थी जान

जमुई। गिरीडीह जिले के तीसरी थाना क्षेत्र अंतर्गत पंदनाटाड़ निवासी सगे व्यवसायी बंधु अंशु वर्णवाल और चंदन वर्णवाल का खैरा थाना क्षेत्र के मनवा जंगल से कंकाल तथा बाइक मिलने के मामले में स्वजन पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा रहे हैं। स्वजनों का कहना है कि तीसरी एवं खैरा थाना की पुलिस लापरवाही नहीं करती तो दोनों भाई जिदा होते।

मामा प्रमोद वर्णवाल का आरोप है कि सूचना के बावजूद दोनों थाना की पुलिस ने तलाश की कोशिश नहीं की। थक हारकर घरवालों ने घने जंगल में जाकर शव बरामद किया। प्रमोद ने बताया कि विगत 22 जून को दोनों भाई बाइक से राजधनवार के डोरंडा के एक व्यवसायी के घर जाने के लिए निकले थे। उसके बाद दोनों का कुछ पता नहीं चला। मामले को लेकर तीसरी थाना में केस दर्ज कराया गया था। इस बीच चंदन का पर्स गरही डैम के पास मिला था।

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अंतिम बार बादिलडीह पुल के पास देखे गए थे दोनों भाई
22 जून को अंतिम बार अंशु वर्णवाल एवं चंदन वर्णवाल को बादिलडीह पुल के पास देखा गया था। इसकी जानकारी स्वजनों ने खैरा थाना पुलिस को दी गई थी। स्वजनों ने दोनों भाइयों के तार पैसे के लेनदेन में पीर बाबा से जुड़ने की बात कही थी। तब तीसरी पुलिस ने संदिग्ध सोनो निवासी पीर बाबा उर्फ प्रमोद मंडल को दिल्ली से हिरासत में लेकर पूछताछ की थी। साक्ष्य नहीं मिलने पर छोड़ दिया गया था।
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बाक्स के लिए
पूर्व विधायक ने थानाध्यक्ष के निलंबन की उठाई आवाज
गिरीडीह जिला के राजधनवार विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक राजकुमार यादव एवं भाकपा माले के जमुई जिला सचिव शंभुशरण सिंह ने सगे भाई हत्याकांड में खैरा पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि बिहार में कानून का राज समाप्त हो गया है। अपराधियों से पुलिस की मिलीभगत है। खैरा थानाध्यक्ष का तुरंत निलंबन किया जाए।
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समय रहते मदद होती तो बच जाती जान
वर्णवाल सेवा समिति जमुई ने एसपी को आवेदन देकर बताया है कि 22 जून को चंदन का पर्स गरही डैम के समीप मिला था। इस आधार पर स्वजन मामला दर्ज कराने गए तो खैरा थाना प्रभारी ने स्वजनों को भगा दिया। पुलिस मदद करती तो दोनों भाइयों की जान बच सकती थी।
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दो गिरफ्तार
जमुई : सगे व्यवसायी बंधु हत्याकांड में भाई मंटू वर्णवाल के बयान पर खैरा थाना में मामला दर्ज किया गया है। मामले में नामजद सोनो निवासी दिवाकर मंडल एवं गरही निवासी कारू को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। इसकी पुष्टि थानाध्यक्ष सिद्धेश्वर पासवान ने की है।
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इनसेट
थानेदार दर्ज करते मामला तो बच सकती थी अंशु और चंदन की जान
संवाद सहयोगी, जमुई: खैरा थाना अध्यक्ष 28 दिन पहले अपहृत अंशु और चंदन के स्वजनों की बात मान कर मामला दर्ज कर लेते तो दोनों की जान बच सकती थी। हद तो तब और हो गई जब स्वजन खुद दोनों अपहृत का पर्श खोजकर थाना पहुंचे तो थानेदार मामले की जांच करने की बजाय खदेड़ दिया। इस बात से नाराज वर्णवाल सेवा समिति के महेन्द्र वर्णवाल ने एसपी को आवेदन देकर कार्रवाई की मांग की है।
मोटे तौर पर पुलिस का यह रवैया आम पब्लिक के लिए नासूर बन जाता है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि थानाध्यक्ष सिद्धेश्वर पासवान ने मामले में हठधर्मिता दिखाई है। कमेटी के सदस्यों ने जब उन्हें मामला दर्ज करने का आग्रह किया तो उन्होंने इन्कार कर दिया। उनलोगों को बताया गया कि दोनों की तलाश पुलिस जंगलों में ड्रोन कैमरे के माध्यम से कर रही है। इधर पुलिस सोती रही और उधर स्वजनों ने खुद ही दोनों का कंकाल जंगल में खोजकर पुलिस को सूचित कर दिया। इसके बाद घटनास्थल पर पहुंची पुलिस की काफी फजीहत हुई। दरअसल खैरा थाना अध्यक्ष का विवादों से पुराना नाता है। उनपर एक रसूखदार नेता का हाथ है। इसलिए उन्हें थाना भी बहुत ही आसानी से मिल जाता है। बतौर झाझा थानाध्यक्ष उनपर गंभीर आरोप लगे थे। उस वक्त झाझा का एक व्यवसायी दीपक शर्मा ने जमीन पर जबरन कब्जा करने में मदद करने को लेकर गंभीर आरोप लगाए थे। बतौर थानाध्यक्ष मामला दर्ज नहीं कर व्यवसायी को थाना से भगा दिया था। तंग आकर उसने जहर खाकर आत्महत्या करने की कोशिश की।

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