मदनपुर जंगल होगा गैंडों का नया ठिकाना

बगहा । वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में गैंडों के आशियाना बनाने की तैयारी पूरी कर ली गई है। गैंडों को नये आशियाने में कैसे बसाया जाएगा। इसकी भी रणनीति तय हो चुकी है। जल्द ही मदनपुर रेंज में उनके नए घर में शिफ्ट कर दिया जाएगा।

वीटीआर के अधिकारी इस पर कई साल से काम रहे थे। लेकिन इस दिशा में सार्थक कोशिश नहीं हो पा रही थी। एक बड़ी दिक्कत गैंडों को लेकर थी कि आखिर गैंडे कहां से लाएं।
वीटीआर जंगल से निकलकर संतपुर गांव के समीप एक गैंडा चहलकदमी कर रहा है। पिछले कई माह से यह गैंडा वीटीआर में भ्रमण कर रहा है। फिलहाल संतपुर के ग्रामीण किसी अनहोनी की आशंका से भयभीत हैं। और वह खेतों की ओर जाने से डर रहे हैं। वीटीआर में बढ़ेगा गैंडों का कुनबा वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में अब बाघों की संख्या बढ़ने के बाद गैंडों की संख्या को बढ़ाने की दिशा में भी प्रयास शुरू कर दिया गया है। वीटीआर वन प्रमंडल दो अंतर्गत मदनपुर वन रेंज को गैंडा अधिवास योजना के लिए चुना गया है।

वन क्षेत्र निदेशक हेमकांत राय ने बताया कि वाइल्ड लाइफ, डब्लूडब्लूएफ और गैंडा के विशेषज्ञों के मुताबिक गैंडे को दलदली क्षेत्र पसंद है। जहां उसे प्रचुर मात्रा में भोजन मिले। इस नजरिए से मदनपुर वन क्षेत्र को उपयुक्त है। बता दें कि विगत कुछ वर्षों में नेपाल से भटककर छह गैंडा वीटीआर परिक्षेत्र में आए थे। जिसमें से चार गैंडों की मौत हो चुकी है। दो नर गैंडा अभी भी बचे हैं। जिसमें से एक गैंडे को बाड़े में रखकर उसका इलाज किया जा रहा है। जैसे ही अधिवास क्षेत्र विकसित होगा एक मादा गैंडा भी लाया जाएगा। जिससे इनके वंश बेल में वृद्धि हो सके।

गैंडा अधिवास क्षेत्र की सुरक्षा का रखा जाएगा ख्याल: गैंडो की सुरक्षा के लिए एंटीपोचिग कैंप यानी शिकार नियंत्रण कक्ष व वाच टावर का निर्माण कराया जाएगा। मदनपुर वन क्षेत्र में 500 हेक्टेयर से अधिक प्राकृतिक जलीय क्षेत्र है। जिसमें वर्षभर कीचड़युक्त पानी रहता है। गैंडों को ऐसे स्थान काफी रास आते हैं। यहां का वातावरण और जलवायु भी गैंडों के लिए अनुकूल है। वीटीआर के वन पदाधिकारियों को इसमें गैंडों के कुनबे के बढ़ने की उम्मीद है। वीटीआर में मौजूद दोनों गैंडे नर हैं। वंशवृद्धि के लिए काजीरंगा नेशनल पार्क से एक मादा गैंडा को वीटीआर लाए जाने की तैयारी है।

अन्य समाचार