बाबा द्रव्येश्वर नाथ मंदिर की महिमा अपरंपार

समस्तीपुर। शहर के गोला घाट स्थित प्राचीन बाबा द्रव्येश्वर नाथ मंदिर की महिमा अपरंपार है। बाबा द्रव्येश्वर नाथ मंदिर में स्थित महादेव के शिवलिग लोगों की आस्था सदियों पुरानी है। बलान नदी के गोला घाट पर स्थित द्रव्येश्वर नाथ मंदिर से जुड़ी आस्था सदियों पुरानी है। वर्तमान में मंदि के पुजारी पंडित कृष्णा गिरि बताते है कि वह बचपन से ही इस मंदिर में भगवान की सेवा कर रहे हैं। उनके परिवार में दादा पंडित युगल गिरि एवं पिता शिवजी गिरि भी इसी मंदिर के पुजारी थे। आज मै भी अपने पूर्वजों की तरह महादेव की सेवा कर रहा हूं। इतिहास :


शहर के गोला घाट पर स्थित बाबा द्रव्येश्वर नाथ मंदिर का इतिहास करीब तीन सौ वर्ष पूराना है। आज के करीब तीन सौ वर्ष पूर्व जब जल मार्ग से व्यापार होता था। उसी समय व्यापारियों के जन सहयोग से बलान नदी के किनारे गोला घाट पर मंदिर का निर्माण कराया था। जहां व्यापारी इस मंदिर में पूजा अर्चना कर अपने- अपने व्यापार के लिए निकलते थे। जिसके बाद यह मंदिर स्थानीय लोगों का सबसे बड़ा आस्था का केंद्र बन गया। स्थानीय शांति नायक परिवार और पूर्व नगर पंचायत मुख्य पार्षद सुशील सुरेका ने जन सहयोग से वर्ष 2012 में इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाकर मंदिर को नया रूप प्रदान किया। विशेषता :
श्रावण मास को लेकर मंदिर में जलाभिषेक के लिए यहां सोमवारी के दिन श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। इसके मद्देनजर पूरी व्यवस्था की गई है। यहां मांगी गई हर एक मुराद पूरी होती है। विवाह पंचमी, बसंत पंचमी, महा शिवरात्रि एवं सावन में यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। यहां जलाभिषेक करने करने विशेष फल की प्राप्ति होती है। कहते है पुजारी
भगवान शिव में समस्त ब्रह्मांड निहित है। भगवान शिव के लिए सावन का महीना सबसे प्रिय है। यहीं वजह है कि सावन में भगवान शिव की साधना से तमाम मुरादें पूरी होती है। भक्त भगवान शिव का जितना जला अभिषेक भक्त करता है, भगवान शिव उतने ही प्रसन्न होते है। भगवान शिव जल से भी उतने ही प्रसन्न होते है, जितना मधु, दूध, गन्ने का रस एवं अन्य सामग्री से।
पंडित कृष्णा गिरि

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