लखीसराय में संस्थागत प्रसव कराने के प्रति महिलाएं उदासीन

लखीसराय। जच्चा-बच्चा की सुरक्षा को लेकर सरकार द्वारा संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। इसके बावजूद ग्रामीण एवं जंगली-पहाड़ी क्षेत्र की महिलाएं संस्थागत प्रसव कराने को ले जागरूक नहीं हो पाई हैं। अस्पताल प्रशासन की उदासीनता भी संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने की राह का रोड़ा साबित हो रहा है। ससमय एंबुलेंस के नहीं पहुंचने के कारण दूरदराज एवं जंगली-पहाड़ी क्षेत्र की अधिकांश प्रसव पीड़िता घर में ही प्रसव कराने को विवश होती हैं। चाहकर भी प्रसव पीड़िता प्रसव कराने के लिए अस्पताल नहीं पहुंच पाती है। यही कारण है कि चालू वित्तीय वर्ष के चार माह बीत जाने के बाद भी जिले में निर्धारित वार्षिक लक्ष्य के विरुद्ध मात्र आठ फीसद ही संस्थागत प्रसव हो पाया है। जिले में संस्थागत प्रसव कराने का वार्षिक लक्ष्य 29,428 एवं मासिक लक्ष्य 2,452 निर्धारित है। परंतु चार माह में मात्र 2,401 संस्थागत प्रसव कराया गया है। यानि चार माह में एक माह के लक्ष्य से भी कम संस्थागत प्रसव कराया जा सका है। इन आंकड़ों से स्पष्ट होता है कि संस्थागत प्रसव के प्रति महिलाओं के उदासीन रहने के कारण ही संस्थागत प्रसव के निर्धारित लक्ष्य 29,428 का आंकड़ा पूरा करना स्वास्थ्य विभाग के लिए चुनौती होगी।

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चालू वित्तीय वर्ष में अस्पतालवार संस्थागत प्रसव का निर्धारित लक्ष्य व उपलब्धि
रेफरल अस्पताल बड़हिया
निर्धारित लक्ष्य - 3,797
उपलब्धि - 402
उपलब्धि फीसद - 11
सीएचसी हलसी
निर्धारित लक्ष्य - 3,415
उपलब्धि - 304
उपलब्धि फीसद - 09
सदर अस्पताल लखीसराय
निर्धारित लक्ष्य - 9,601
उपलब्धि - 693
उपलब्धि फीसद - 07
पीएचसी पिपरिया
निर्धारित लक्ष्य - 1,570
उपलब्धि - 97
उपलब्धि फीसद - 07
पीएचसी रामगढ़ चौक
निर्धारित लक्ष्य - 2,602
उपलब्धि - 199
उपलब्धि फीसद - 08
सीएचसी सूर्यगढ़ा
निर्धारित लक्ष्य - 8,443
उपलब्धि - 706
उपलब्धि फीसद - 08
संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए योजना
अस्पताल में प्रसव कराने वाली ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को जननी बाल सुरक्षा योजना के तहत 1,400 रुपये एवं प्रसव कराने के लिए अस्पताल लाने वाली आशा कार्यकर्ता को 600 रुपये तथा शहरी क्षेत्र की महिलाओं को एक हजार रुपये एवं आशा कार्यकर्ता को 400 रुपये प्रोत्साहन राशि दी जाती है। 102 एंबुलेंस से गर्भवती महिला को प्रसव कराने के लिए अस्पताल पहुंचाने एवं प्रसव के बाद जच्चा-बच्चा को निश्शुल्क घर पहुंचाया जाता है। संबंधित क्षेत्र की एएनएम एवं आशा कार्यकर्ता द्वारा घर-घर जाकर गर्भवती महिलाओं को चिह्नित कर समय-समय पर उसकी जांच कराई जाती है।
कोट
आशा कार्यकर्ताओं एवं एएनएम द्वारा घर-घर जाकर गर्भवती महिलाओं को अस्पताल में प्रसव कराने के लिए जागरूक किया जा रहा है। इसके बावजूद दूरदराज एवं जंगली-पहाड़ी क्षेत्र की महिलाएं संस्थागत प्रसव कराने के प्रति उदासीन हैं। ऐसी महिलाओं को भी जागरूक करने का प्रयास किया जा रहा है। जल्दी ही ऐसी महिलाएं भी जागरूक हो जाएंगी।
डा. डीके चौधरी, सिविल सर्जन, लखीसराय

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