पश्चिम चंपारण में 80 लाख रुपये खर्च करने के बाद भी बाढ़ पीड़ितों को नहीं मिली आश्रय

पश्चिम चंपारण, जासं। जिले में सर्वाधिक बाढ़ प्रभावित प्रखंड सिकटा है। बरसात के दिनों में यहां के सात पंचायत प्रखंड से अलग-थलग पड़ जाते हैं। इसमें सबसे अधिक तबाही पुरैना पंचायत में मचती है। तकरीबन सात हजार की आबादी को बाढ़ से सुरक्षा देने के लिए प्रशासन की ओर से बाढ़ आश्रय स्थल का निर्माण कराने की योजना बनाई गई थी। योजना पर कार्य भी आरंभ हुआ। 80 लाख की लागत से बाढ़ आश्रय स्थल का निर्माण आरंभ कराया गया। निर्माण कार्य अगस्त के प्रथम सप्ताह में पूरा कर देना था। परंतु ठेकेदार की लापरवाही एवं अधिकारियों की निष्क्रियता का नतीजा है कि अभी तक इस आश्रय स्थल का निर्माण नहीं हो सका है। हालांकि इस वर्ष जून से ही बाढ़ की त्रासदी आरंभ हो गई थी। यहां के लोग बाढ़ की पीड़ा को करीब आधा दर्जन लहरों में खेल चुके हैं। शासन की ओर से इन के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई है। हालांकि इधर बीडियो मीरा शर्मा ने बाढ़ आश्रय स्थल का निर्माण करा रहे ठेकेदार को चेतावनी दी है कि वह अविलंब निर्माण कार्य को पूरा करें।

एसडीएम के आदेश की अनदेखी
पुरैना पंचायत के कदमवां मोड पर बाढ आश्रय स्थल का निर्माण कार्य जारी है। भवन दो मंजिल तक का निर्माण हो चुका है। इसे अगस्त के प्रथम सप्ताह तक पूरा कर लेना था। निर्धारित तिथि के पहले इस तिरवाह क्षेत्र को लगातार पांच बार बाढ की तबाही झेलनी पड़ी है। हलाकि बाढ की स्थिति का आकलन करते हुए नरकटियागंज की एसडीओ साहिला ने निर्माण कार्य में तेजी लाकर अगस्त से पहले निर्माण पूरा करने का निर्देश दिया था। बावजूद अभी तक इस आश्रय स्थल का निर्माण कार्य पूरा नही हुआ।
आश्रय स्थल में इंसानों के साथ मवेशियों के लिए भी सुविधा
पुरैना पंचायत के मुखिया जयंत ओझा ने बताया कि खाता-939 खेसरा - 3505 पर 12500 वर्गफिट क्षेत्रफल में बाढ आश्रय स्थल का निर्माण हो रहा है। इसे भवन निर्माण विभाग की ओर से बनाया जा रहा है। बाढ जैसे आपदा में काम आने वाले करीब हर सुविधा से यह आश्रय स्थल परिपूर्ण होगा। सीओ मनीष कुमार ने कहा कि इस भवन में शौचालय, किचन शेड, मवेशियों के रहने आदि की सुविधा होगी। बाढ में स्वच्छ पानी पीने के लिए समरसिवेल मोटर लगेगा। जिससे बाढ में घिरे लोगों व मवेशियों को दूषित पानी पीने से बचाया जा सके। दो मंजिला भवन में दो हॉल के साथ कमरे भी होंगे।
- दिव्यांगों व मवेशियों को मकान में आश्रय लेने के लिए दो रैम्प भी बनाने की योजना है। सीओ ने बताया कि आश्रय स्थल भवन निर्माण विभाग के देखरेख में बनाया जा रहा है। इस भवन में उन्हीं लोगों को आश्रय मिलेगा जिनके घर म़ें बाढ का पानी घूस गया है। रहने व खाने पीने की व्यवस्था रहेगी। उन्हे प्रशासनिक स्तर पर नाव आदि से रेस्क्यू कर इस भवन में शिफ्ट कराया जायेगा।
समय से पहले बाढ़ के कारण विलंब
संवेदक रामाकांत मिश्र ने बताया कि वैसे तो निर्माण कार्य अगस्त तक पूरा करना था। पिछले दिनों नरकटियागंज एसडीएम जांच के लिए आईं थी, उन्होंने बाढ़ पीड़ितों की समस्या देख अगस्त से पहले निर्माण पूरा करने का आदेश दिया था। परंतु समय से पहले आई बाढ़ के कारण निर्माण पूरा कराने में दिक्कत हुई।

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